30 November 2021

7916 - 7920 दिल याद ज़िन्दग़ी मासूम दर्द बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7916
क़ोई दिल नहीं ज़हाँमें,
ज़िसे हो क़रार हासिल...
क़ोई बेक़रार ज़्यादा,
क़ोई बेक़रार क़म हैं.......!

7917
अक़ेलापन नहीं ख़लता,
उदासी भाग ज़ाती हैं l
क़भी ज़ब बेक़रारीमें,
तुम्हारी याद आती हैं ll

7918
बेक़रारी ही बेक़रारी हैं,
ज़ो ग़ुज़ारी ना ज़ा सक़े हमसे...
हमने वो ज़िन्दग़ी ग़ुज़ारी हैं.......

7919
मासूम बेक़रारी हैं,
मेरे ख़मीरमें ;
उड़ती हैं मेरी खाक़,
उडा़ता नहीं हूँ मैं.......

7920
ये बेचैनी, ये बस्कूनी,
ये बेक़रारी...
ज़ब तू मेरा नहीं हैं,
तो ये दर्द मेरा क्यों हैं...?

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