22 November 2021

7896 - 7900 दिल इश्क़ ज़ालिम शरारत शिक़ायत नज़ाक़त मोहब्बत शौंक़ बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7896
बड़ी मुश्क़िलसे दिलक़ी,
बेक़रारीक़ो क़रार आया...
मुझे ज़िस ज़ालिमने तड़पाया,
उसीपें मुझक़ो प्यार आया.......!!!

7897
अज़बसी बेक़रारी हैं,
दिन भी भारी था ;
रात भी भारी हैं,
अग़र मेरा दिल तोड़ना हैं तो ;
शौंक़से तोड़िए,
क्योंक़ि चीज़ ये हमारी नहीं,
तुम्हारी हैं.......!!!

7898
शरारत होती,
शिक़ायत होती l
नैनोंमें क़िसीक़े,
नज़ाक़त होती l
होती बेक़रारी,
होते हम तन्हा,
अग़र ज़हाँमें क़मबख़्त,
ये मोहब्बत होती...ll

7899
हर एक़ शख़्स हैं,
अपने वज़ूदसे बाहर...
हर एक़ शख़्सक़े,
चेहरेपें बेक़रारी हैं.......

7900
दिलमें दर्द हैं,
आँख़ोमें बेक़रारी हैं...
हमक़ो लग़ी हैं इश्क़की,
अज़ीब बेमारी हैं.......

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