15 November 2021

7866 - 7870 दिल इश्क़ याद सुक़ून आरज़ू अंदाज़ मोहब्बत नज़ाक़त बेक़रारी बेक़रार शायरी

 

7866
तेरी याद, तेरी तलब,
तेरी ही आरज़ू...
एक़ अज़बसा सुक़ून हैं,
इस बेक़रारीमें भी.......!

7867
आलम--बेक़रारी बता रहें हो,
ज़ाने क़्या बात हुई...
क़भी मोहब्बत, तो क़भी...
ख़ुशी लुटा रहें हो.......!!!

7868
ज़ो सबसे ज़ुदा हैं,
वो अंदाज़ हो तुम...
छुपा था ज़ो दिलमें,
वोही राज़ हो तुम...
तुम्हारी नज़ाक़त,
बनी ज़बसे चाहत,
सुक़ून बन ग़यी हैं,
हर एक़ बेक़रारी...!

7869
मुद्दतक़े बाद,
मुलाक़ातक़ा असर था,
या उसक़े ग़ुज़रे इश्क़क़ी,
ख़ुमारी थी...
दिल--बरबादक़ो
चैन भी उसक़े साथ था,
उसीक़े साथ ही बेक़रारी थी.......

7870
ये बेक़रारीक़ी मोहब्बतपर,
क़ुछ यूँ क़माल हो ज़ाए...
मेरी बेक़रारीसे उसक़ी,
बेक़रारीक़ा क़रार हो ज़ाए...!

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