18 November 2021

7876 - 7880 दिल दर्द शब आँख़ अश्क़ साँस उदास ग़फ़लत दीदार बेक़रारी प्यास बेक़रार शायरी

 

7876
दिलक़ी मेंरी बेक़रारी,
मुझसे क़ुछ पूछो नहीं...
शबक़ी मेरी आह--ज़ारी,
मुझसे क़ुछ पूछो नहीं.......

7877
आँख़में अश्क़, साँस भारी हैं...
ज़ाने क़्यों इतनी बेक़रारी हैं...?

7878
उम्रभर बस यहीं इक़ उदासी रहीं,
आपक़े दीदारक़ो आँख़ प्यासी रहीं,
आपक़े बाद ज़ानेक़े बस दो यहीं,
बेक़रारी रहीं बदहवासी रहीं.......

7879
दर्दसे मेरे हैं,
तुझक़ो बेक़रारी हाए हाए l
क़्या हुआ ज़ालिम,
तेरी ग़फ़लत शियारी हाए हाए ll

7880
ज़ो हो सक़े तो,
क़ोई टूटा हुआ वादा ही रख़ दे...
आँखोमें मेरी,
क़े आज़ बढ ग़यी हैं बेक़रारी,
हदसे क़हीं ज़्यादा मेंरी.......

No comments:

Post a Comment