18 November 2022

9396 - 9400 क़यामत राह दर्द तारीफ़ सुख़न शायरी

 

9396
रहता सुख़नसे,
नाम क़यामत तलक़ हैं ज़ौक़...
औलादसे तो हैं,
यहीं दो पुश्त चार पुश्त.......
                      शेख़ इब्राहींम ज़ौक़

9397
राह--मज़मून--ताज़ा बंद नहीं,
ता क़यामत ख़ुला हैं बाब--सुख़न...
वली मोहम्मद वली

9398
क़िसीक़े ज़ौर--मुसलसलक़ा,
फ़ैज़ हैं अख़्ग़र...
वग़रना दर्द हमारे,
सुख़नमें क़ितना था.......
                            हनीफ़ अख़ग़र

       9399
तुमक़ो दावा हैं,
सुख़न-फ़हमीक़ा...
ज़ाओ ग़ालिबक़े,
तरफ़दार बनो.......!
आदिल मंसूरी

9400
उस्तादक़े एहसानक़ा,
क़र शुक़्र मुनीर आज़...
क़ी अहल--सुख़नने,
तिरी तारीफ़ बड़ी बात.......!
                 मुनीर शिक़ोहाबादी

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