1446
प्यार में हमारे सब्र की
इंतेहा हो गयी.....
किसी और के लिये रोतें रोतें
वो मेरी बाहो में सो गयी...
1447
इश्क़ में ना जाने कब हम
हद से गुज़र गये,
कई सारे ख्वाब मेरी
आँखों में भर गये...
1448
बड़ी इबादत से पुछा था मैंने,
खुदा से जन्नत का पता...
थक कर नींद आयी तो खुदा ने,
माँ की गोद में सुला दिया…
1449
आपकी इस दिल्लगी मे,
हम अपना दिल खो बैठे...
कल तक उस खुदा के थे,
आज आप के हो बैठे.......
1450
कुछ वो हसीन है ,
कुछ मौसम रंगीन है ,
तारीफ करूँ या चुप रहूँ ,
जुर्म दोनो संगीन है !!!