13 March 2018

2471 - 2475 इश्क महोब्बत दिल गम तंग खिलौना अदांज बरस खामोश तरस दुनियाँ मतलबी धोखा बात शायरी


2471
ना तंग करो इतना, हम सताऐ हुऐ हैं,
महोब्बतका गम दिलपें उठाऐ हुऐ हैं,
खिलौना समझकर हमसे ना खेलो,
हम भी उसी खुदाके बनाऐ हुऐ हैं 

2472
हमारा अदांज ही कुछ ऐसा हैं कि
हम बोलते हैं तो बरस जाते हैं !
और.......
खामोश रहते हैं तो लोग तरस जाते हैं ...!

2473
बहुत थे मेरे भी
इस दुनियाँमें अपने,
फिर हुआ इश्क और
हम लावारिस हो गए।

2474
इश्कभी अजीब होता हैं
अपनोको खोकर मीलता हैं
फिर भी इश्कमें मे ही इन्सान जिता हैं
तभी तो उसे इश्क कहते हैं

2475
हम उनके जैसे मतलबी और धोखेबाज़ नहीं हैं,
जो की चाहनेवालोको धोखा दे,
बस वो ये समझ ले
की हमें समझना हर किसीके बसकी बात नहीं.....

12 March 2018

2466 - 2470 दिल मोहब्बत उम्र नुक़्स बर्बाद गैर बात अधूरी किताब आँख जादू वाक़िफ़ शौक़ शायरी


2466
उम्र बर्बाद कर दी हमने,
औरोंमें नुक़्स निकालते निकालते.....
इतना कभी खुदको तराशते तो,
कबके खुदा हो गए होते.......

2467
तुम आए थे, पता लगा,
सुनकर अच्छा भी लगा,
पर गैरोंसे पता चला,
बेहद बुरा लगा !

2468
मोहब्बतकी आजतक,
बस दो ही बातें अधूरी हीं;
इक मैं तुझे बता नही पाया,
और दूसरी तुम समझ हीं पाये...

2469
किताबोंमें कहते हैं फूल तोडना मना हैं,
बागोंमें कहते हैं फूल तोड़ना मना हैं,
फूलोंसे कीमती चीज़ हैं दिल,
कोई नहीं कहता दिल तोड़ना मना हैं !

2470
" तेरी आँखोंके जादूसे,
तू ख़ुद नहीं हैं वाक़िफ़,
यह उसे भी जीना सिखा दे,
जिसे मरनेका शौक़ हो !!! "

11 March 2018

2461 - 2465 जिंदगी शाम बात याद तनहा साथ गलतफअमी सिलसिले दिलचस्प दीवार मोड़ कदम सफर शायरी


2461
"शामके बाद मिलती हैं रात,
हर बातमें समाई हुई हैं तेरी याद...
बहुत तनहा होती ये जिंदगी,
अगर नहीं मिलता जो आपका साथ l"

2462
गलतफअमीके सिलसिले
आज इतने दिलचस्प हैं,
कि हर ईट सोचती
दीवार मुझपे टिकी हैं ll
              गुलज़ार

2463
ज़िंदगी उसीको आज़माती हैं,
जो हर मोड़पर चलना जानता हैं...
कुछ पाकर तो हर कोई मुस्कुराता हैं,
ज़िंदगी उसीकी होती हैं,
जो सब खोकर भी मुस्कुराना जानता हैं !

2464
किसी नन्हे बच्चेकी मुस्कान देखकर ,
कविने क्या खूब लिखा हैं ...
दौड़ने दो खुले मैदानोंमें ,
इन नन्हें कदमोंको जनाब...
जिंदगी बहुत तेज भगाती हैं ,
बचपन गुजर जानेके बाद.......!

2465
कितने बरसोंका सफर,
यूँ ही ख़ाक हुआ ;
जब उन्होंने कहां,
कहो..., कैसे आना हुआ ?”

2456 - 2460 दिल जिंदगी बंदगि बदनाम मुसाफिर याद रास्ते मोती माला काबिल तारीफ़ धागा जनाब शायरी


2456
गिरकर संभलना,
संभलकर जिंदगी सँवरना...
हीं तो जिंदगी हैं,
बंदगि इससे बढकर क्या होती हैं

2457
दिलका नाम धडकन हैं,
जो खुदाने दी हैं,
धडकन रुक जाय तो,
खुदा बदनाम हो जाएँ ?

2458
हे स्वार्थ तेरा शुक्रिया...!
एक तु ही हैं,
जिसने लोगोंको,
आपसमें जोडकर रखा हैं...!!!

2459
यूँ ही गुज़र जाते हैं,
मीठे लम्हे मुसाफिरोंकी तरह....
और यादें वहीं खडी रह जाती हैं,
रूके रास्तोंकी तरह...!

2460
मालाकी तारीफ़ तो करते हैं सब,
क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं...
काबिल-ए-तारीफ़ धागा हैं जनाब
जिसने सबको जोड़ रखा हैं...

9 March 2018

2451 - 2455 मुहब्बत बुरा अच्छा अमीर शराब कीमत ग़म बात दहलीज चाहत सिलसिला अजीब शायरी


2451
"बुरा" हमेशा हीं बनता हैं,
 जो "अच्छा" बनके टूट चुका होता हैं...

2452
बहुत अमीर होती हैं,
बोतल शराबकी...
कीमत चाहे जो हो;
सारे ग़म खरीद लेती हैं...

2453
जरूरी नहीं
की हर बातपर तुम मेरा कहा
मानों,
दहलीजपर रख दी
हैं चाहत, आगे तुम जानो..!!

2454
काश तुम कभी...
ज़ोरसे गले लगाकर कहो,
"डरते क्यों हो पागल,
तुम्हारी ही तो हूँ l"

2455
उसकी मुहब्बतका सिलसिला भी,
क्या अजीब हैं...
अपना भी नहीं बनाती ,
और किसीका होने भी नहीं देती...!

8 March 2018

2446 - 2450 दिल मोहोब्बत इश्क शोक बंदगी गम याद इत्तेफाक़ गली काम अक्सर महक बहक शायरी


2446
ना इश्कका शोक हैं,
न मोहोब्बत करते हैं...
खुदाके बन्दे हैं,
बस बंदगी करते हैं...
कभी गम हो तो,
हमें याद करना,
दर्द गिरवी रखते हैं,
और खुशी उधार देते हैं...।

2447
क्या हसीन इत्तेफाक़ था,
तेरी गलीमें आनेका....!
किसी कामसे आये थे, !
किसी कामके ना रहे....!!! 

2448
वो अक्सर मुझसे पूछा करती थी,
तुम मुझे कभी छोड़कर तो नहीं जाओगे...
आज सोचता हूँ.......,
कि काश मैने भी कभी पूछ लिया होता...

2449
आईना फिर आज,
रिश्वत लेते पकड़ा गया...
दिलमें दर्द था,
फिरभी चेहरा हँसता हुआ दिखाई दिया....!

2450
मिलावट हैं तेरे इश्कमें,
इत्र और शराबकी,
वरना हम कभी महक...
तो कभी बहक क्यों जाते।

6 March 2018

2441 - 2445 दिल नींद वास्ता शराबी गम बोझ एहसास जजबात वक्त चाह क़दर दीवार याद मौसम शायरी


2441
नींदसे कोई वास्ता नहीं...
मेरा कौन हैं,
ये सोच सोचके,
रात गुज़र जाती हैं.......

2442
ये ना पुछ मैं शराबी क्यूँ हुआ,
बस यूँ समझले.....
गमोंके बोझसे
नशेकी बोतल सस्ती लगी.......

2443
एक एहसास तब भी था,
एक एहसास अब भी हैं,
कुछ अनकही कूछ अनसुनी बातोंमें
एक जजबात अब भी हैं,
यूँ वक्त तो गुजर गया हैं बहोत लेकिन,
आपसे फिर मिलनेकी चाह अब भी हैं.....

2444
कुछ इस क़दर गम बस गये हैं,
मेरे दिलकी दरो-दीवारमें,
लगता हैं एक और दिल किरायेपर लेना पडेगा,
जींदा रहनेके लिये . . . . . . . !

2445
उनपर किसी मौसमका,
असर क्यों नहीं होता ?
रद्द क्यों नहीं उनकी,
यादोंकी उड़ानें होतीं.......

5 March 2018

2436 - 2440 वजह बहाना रुकावटें रास्ते रिश्ते वहम दफ़न गलति साँसे हालात ज़ंजीर कच्चे धागे शायरी


2436
रोनेकी वजह न थी,
हसनेका बहाना न था...
क्यो हो गए हम इतने बडे,
इससे अच्छा तो वो बचपनका जमाना था!

2437
रुकावटें तो जनाब,
जिंदा इन्सानके हिस्सेमें हि आती हैं...
वरना अर्थिके लिये,
रास्ते तो सभी छोड देते हैं.......

2438
कुछ रिश्ते वहमकी कब्रमें,
दफ़न हो जाते हैं...
हर बार कसूर गलतियोंका,
कहाँ होता हैं...!

2439
उठाना खुद ही पडता हैं,
थका टूटा बदन अपना;
जब तक साँसे चलती हैं,
कंधा कोई नहीं देता...

2440
हालातने तोड़ दिया,
हमें कच्चे धागेकी तरह...
वरना हमारे वादे भी,
कभी ज़ंजीर हुआ करते थे.......!

4 March 2018

2431 - 2435 दिल वफा दुनियाँ ज़िंदगी मुलाक़ात इत्तफाक जज्बात मुश्किल गम बरसात याद पलकें वादा चाह शायरी


2431
दोस्ती तो सिर्फ एक इत्तफाक हैं !
यह तो दिलोंकी मुलाक़ात हैं !!
दोस्ती नहीं देखती यह दिन हैं की रात हैं !
इसमें तो सिर्फ वफादारी और जज्बात हैं !!

2432
"क्युँ मुश्किलोंमें साथ देते हैं दोस्त,
क्युँ गमको बांट लेते हैं दोस्त,
ना रिश्ता खूनका ना रिवाजसे बंधा,
फिरभी जिन्दगीभर साथ देते हैं दोस्त !!!

2433
बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो,
धूप आये तो सरसों पीली न हो,
ए दोस्त तूने यह कैसे सोच लिया कि,
तेरी याद आये और पलकें गीली न हों।

2434
तु कितनी भी खुबसुरत,
क्यूँ ना हो ए ज़िंदगी,
खुशमिजाज़ दोस्तोंके बगैर,
तू अच्छी नहीं लगती.......

2435
वादा करो अगर तुम निभा सको,
चाहो उसको जिसे तुम पा सको,
दोस्त तो दुनियाँमें बहुत होते हैं,
पर एक खास रखो जिसके बिना ,
तुम मुस्कुरा सको……..

2426 - 2430 जिन्दगी मौसम बारिश फ़िज़ा रंगीन बात बेशक शफ़क़ चिराग मंज़र साँस कफ़न किस्मत परख सिक्का शायरी


2426
कोई रंग नहीं होता,
बारिशके पानीमें !
फिर भी फ़िज़ाको,
रंगीन बना देता हैं !!

2427
कहनेको तो,
इस शहरमें कुछ नहीं बदला...
पर ये बात भी उतनी ही सही हैं,
मौसम अब उतने सुहाने नही बनते.......

2428
पूछ लो बेशक परिन्दोंकी,
हसीं चेहकारसे ;
तुम शफ़क़की झील हो और,
शामका मंज़र हूँ मैं।।

2429
चिरागसे न पूछो बाकि तेल कितना हैं;
साँसोसे न पूछो बाकि खेल कितना हैं !
पूछो उस कफ़नमें लिपटे मुर्देसे;
जिन्दगीमें गम और कफ़नमें चैन कितना हैं !!

2430
कागज़के नोटोंसे आखिर,
किस किसको खरीदोगे;
किस्मत परखनेके लिए यहाँ आज भी,
सिक्का ही उछाला जाता हैं!