16 March 2018

2486 - 2490 दुनियाँ अल्फाज ढुंढ शुक्र आँसु राज लाश वक़्त रिश्ता गलत मरहम ख्वाहिश शायरी


2486
, आज लिख दूं,
कुछ तेरे बारेमें...
पता हैं तू ढुंढता हैं खुदको ;
मेरे अल्फाजोंमें...

2487
शुक्र हैं खुदा...
इन आँसुओंका कोई रंग नहीं होता ,
वरना ये तकिये हमारे,
कई राज खोल देते...!

2488
इस दुनियाँमें कोई किसीका
हमदर्द नहीं होता,
लाशको बाजुमें रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।
"और कितना वक़्त लगेगा".

2489
उनकी फ़िक्र थी
काश !! उनसे  कोई रिश्ता भी होता...

2490
बिकती हैं ना ख़ुशी कहीं,
ना कहीं गम बिकता हैं...

लोग गलतफहमीमें हैं,
कि शायद कहीं मरहम बिकता हैं...

इंसान ख्वाहिशोंसे बंधा
हुआ एक जिद्दी परिंदा हैं...

उम्मीदोंसे ही घायल हैं,
उम्मीदोंपर ही जिंदा हैं...!

15 March 2018

2481 - 2485 मोहब्बत चेहरा नक़ाब वज़ह आँख याद फासले निशानी कहानी रिश्ते होठ जख्म शायरी



2481
ख़ुद छुपा सके,
वो अपना चेहरा नक़ाबमें;
बेवज़ह हमारी आँखोंपें,
इल्ज़ाम लग गया।

2482
सौदा कुछ ऐसा किया हैं,
तेरे ख़्वाबोंने, मेरी नींदोंसे,
या तो दोनों आते हैं,
या कोई नहीं आता...।

2483
याद रखते हैं हम,
आज भी उन्हें पहलेकी तरह;
कौन कहता हैं फासले,
मोहब्बतकी याद मिटा देते हैं।

2484
दिन बीत जाते हैं कहानी बनकर,
यादें रह जाती हैं निशानी बनकर,
पर रिश्ते हमेशा रहते हैं;
कभी होठोंकी मुस्कान बनकर,
तो कभी आँखोंका पानी बनकर...

2485
वक़्त नूरको बेनूर बना देता हैं ,
छोटेसे जख्मको नासूर बना देता हैं...!
कौन चाहता हैं अपनोंसे दूर रहना ,
पर वक़्त सबको मजबूर बना देता हैं...!

14 March 2018

2476 - 2480 इत्र रूह महक मुकद्दर वफा मोहब्बत आँख आँसू तड़प जमाने धोखा दर्द कायर लफ़्ज़ संगत शायरी


2476
हँसते हुए लोगोंकी संगत,
इत्रकी दुकान जैसे होती हैं,
कुछ ना खरीदो फिर भी
रूह महका देते हैं।

2477
एक शब्द हैं (मुकद्दर)
इससे लड़कर देखो तुम
हार ना जाओ तो कहना,

एक शब्द हैं (वफा)
जमानेमें नहीं मिलती कहीं
ढूंढ पाओ तो कहना,

एक शब्द हैं (मोहब्बत)
इसे करके देखो तुम
तड़प ना जाओ तो कहना,
      
एक शब्द हैं (आँसू)
  दिलमें छुपाकर रखो
तुम्हारी आँखोंसे ना निकल जाए तो कहना,

2478
"चलो दिल कि अदला-बदली कर लेते हैं...
तड़प क्या होती हैं,
ये तुम भी समझ जाओगे."


2479
एक धोखा खुदको दे देता हूँ...
बगैर उनके मुस्कुरा जो लेता हूँ.......

2480
दर्द आँखोंसे निकला,
तो सबने बोला कायर हैं ये,
जब दर्द लफ़्ज़ोंसे निकला
तो सब बोले शायर हैं ये !

13 March 2018

2471 - 2475 इश्क महोब्बत दिल गम तंग खिलौना अदांज बरस खामोश तरस दुनियाँ मतलबी धोखा बात शायरी


2471
ना तंग करो इतना, हम सताऐ हुऐ हैं,
महोब्बतका गम दिलपें उठाऐ हुऐ हैं,
खिलौना समझकर हमसे ना खेलो,
हम भी उसी खुदाके बनाऐ हुऐ हैं 

2472
हमारा अदांज ही कुछ ऐसा हैं कि
हम बोलते हैं तो बरस जाते हैं !
और.......
खामोश रहते हैं तो लोग तरस जाते हैं ...!

2473
बहुत थे मेरे भी
इस दुनियाँमें अपने,
फिर हुआ इश्क और
हम लावारिस हो गए।

2474
इश्कभी अजीब होता हैं
अपनोको खोकर मीलता हैं
फिर भी इश्कमें मे ही इन्सान जिता हैं
तभी तो उसे इश्क कहते हैं

2475
हम उनके जैसे मतलबी और धोखेबाज़ नहीं हैं,
जो की चाहनेवालोको धोखा दे,
बस वो ये समझ ले
की हमें समझना हर किसीके बसकी बात नहीं.....

12 March 2018

2466 - 2470 दिल मोहब्बत उम्र नुक़्स बर्बाद गैर बात अधूरी किताब आँख जादू वाक़िफ़ शौक़ शायरी


2466
उम्र बर्बाद कर दी हमने,
औरोंमें नुक़्स निकालते निकालते.....
इतना कभी खुदको तराशते तो,
कबके खुदा हो गए होते.......

2467
तुम आए थे, पता लगा,
सुनकर अच्छा भी लगा,
पर गैरोंसे पता चला,
बेहद बुरा लगा !

2468
मोहब्बतकी आजतक,
बस दो ही बातें अधूरी हीं;
इक मैं तुझे बता नही पाया,
और दूसरी तुम समझ हीं पाये...

2469
किताबोंमें कहते हैं फूल तोडना मना हैं,
बागोंमें कहते हैं फूल तोड़ना मना हैं,
फूलोंसे कीमती चीज़ हैं दिल,
कोई नहीं कहता दिल तोड़ना मना हैं !

2470
" तेरी आँखोंके जादूसे,
तू ख़ुद नहीं हैं वाक़िफ़,
यह उसे भी जीना सिखा दे,
जिसे मरनेका शौक़ हो !!! "

11 March 2018

2461 - 2465 जिंदगी शाम बात याद तनहा साथ गलतफअमी सिलसिले दिलचस्प दीवार मोड़ कदम सफर शायरी


2461
"शामके बाद मिलती हैं रात,
हर बातमें समाई हुई हैं तेरी याद...
बहुत तनहा होती ये जिंदगी,
अगर नहीं मिलता जो आपका साथ l"

2462
गलतफअमीके सिलसिले
आज इतने दिलचस्प हैं,
कि हर ईट सोचती
दीवार मुझपे टिकी हैं ll
              गुलज़ार

2463
ज़िंदगी उसीको आज़माती हैं,
जो हर मोड़पर चलना जानता हैं...
कुछ पाकर तो हर कोई मुस्कुराता हैं,
ज़िंदगी उसीकी होती हैं,
जो सब खोकर भी मुस्कुराना जानता हैं !

2464
किसी नन्हे बच्चेकी मुस्कान देखकर ,
कविने क्या खूब लिखा हैं ...
दौड़ने दो खुले मैदानोंमें ,
इन नन्हें कदमोंको जनाब...
जिंदगी बहुत तेज भगाती हैं ,
बचपन गुजर जानेके बाद.......!

2465
कितने बरसोंका सफर,
यूँ ही ख़ाक हुआ ;
जब उन्होंने कहां,
कहो..., कैसे आना हुआ ?”

2456 - 2460 दिल जिंदगी बंदगि बदनाम मुसाफिर याद रास्ते मोती माला काबिल तारीफ़ धागा जनाब शायरी


2456
गिरकर संभलना,
संभलकर जिंदगी सँवरना...
हीं तो जिंदगी हैं,
बंदगि इससे बढकर क्या होती हैं

2457
दिलका नाम धडकन हैं,
जो खुदाने दी हैं,
धडकन रुक जाय तो,
खुदा बदनाम हो जाएँ ?

2458
हे स्वार्थ तेरा शुक्रिया...!
एक तु ही हैं,
जिसने लोगोंको,
आपसमें जोडकर रखा हैं...!!!

2459
यूँ ही गुज़र जाते हैं,
मीठे लम्हे मुसाफिरोंकी तरह....
और यादें वहीं खडी रह जाती हैं,
रूके रास्तोंकी तरह...!

2460
मालाकी तारीफ़ तो करते हैं सब,
क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं...
काबिल-ए-तारीफ़ धागा हैं जनाब
जिसने सबको जोड़ रखा हैं...

9 March 2018

2451 - 2455 मुहब्बत बुरा अच्छा अमीर शराब कीमत ग़म बात दहलीज चाहत सिलसिला अजीब शायरी


2451
"बुरा" हमेशा हीं बनता हैं,
 जो "अच्छा" बनके टूट चुका होता हैं...

2452
बहुत अमीर होती हैं,
बोतल शराबकी...
कीमत चाहे जो हो;
सारे ग़म खरीद लेती हैं...

2453
जरूरी नहीं
की हर बातपर तुम मेरा कहा
मानों,
दहलीजपर रख दी
हैं चाहत, आगे तुम जानो..!!

2454
काश तुम कभी...
ज़ोरसे गले लगाकर कहो,
"डरते क्यों हो पागल,
तुम्हारी ही तो हूँ l"

2455
उसकी मुहब्बतका सिलसिला भी,
क्या अजीब हैं...
अपना भी नहीं बनाती ,
और किसीका होने भी नहीं देती...!

8 March 2018

2446 - 2450 दिल मोहोब्बत इश्क शोक बंदगी गम याद इत्तेफाक़ गली काम अक्सर महक बहक शायरी


2446
ना इश्कका शोक हैं,
न मोहोब्बत करते हैं...
खुदाके बन्दे हैं,
बस बंदगी करते हैं...
कभी गम हो तो,
हमें याद करना,
दर्द गिरवी रखते हैं,
और खुशी उधार देते हैं...।

2447
क्या हसीन इत्तेफाक़ था,
तेरी गलीमें आनेका....!
किसी कामसे आये थे, !
किसी कामके ना रहे....!!! 

2448
वो अक्सर मुझसे पूछा करती थी,
तुम मुझे कभी छोड़कर तो नहीं जाओगे...
आज सोचता हूँ.......,
कि काश मैने भी कभी पूछ लिया होता...

2449
आईना फिर आज,
रिश्वत लेते पकड़ा गया...
दिलमें दर्द था,
फिरभी चेहरा हँसता हुआ दिखाई दिया....!

2450
मिलावट हैं तेरे इश्कमें,
इत्र और शराबकी,
वरना हम कभी महक...
तो कभी बहक क्यों जाते।