2591
न जाने कितनी
अजिय्यतसे,
खुद
गुजरता हैं,
ये जख्म तब
कहीं जाकर,
निशां बनाता हैं !!!
2592
मुझे रुला कर
सोना तो
तेरी
आदत बन गई
हैं,
जिस दिन मेरी
आँख ना खुली...
बेशक तुझे नींदसे नफरत हो जायेगी.......
2593
उस रातसे
हमने,
सोना
ही छोड़ दिया
यारो...
जिस रात उसने कहांके,
सुबह आँख खुलते
ही मुझे भूल
जाना...
2594
"बादलोंसे कह दो...
जरा सोच समझकर
बरसे,
अगर मुझे उसकी
याद आ गयी;
तो मुकाबला बराबरीका
होगा..."
2595
मेरी रूहको
छू लेनेके
लिए,
बस कुछ लब्ज
ही काफी हैं;
कह दो बस
इतना ही के,
तेरे साथ जीना
अभी बाकि हैं...!