2681
गरमी बढ़ती ही
जा रही हैं,
तेरे शहरमें.......
पर दिल हैं तेरा की,
पिंघलता
ही नहीं . . . !
2682
बस जाते हैं दिलमें,
इजाज़त
लिए बग़ैर...वो लोग,
जिन्हे
जिंदगीभर हम,
पा नहीं सकते.......
2683
वो न आए
उनकी याद वफ़ा
कर गई;
उनसे मिलनेकी चाह
सुकून तबाह कर
गई;
आहट दरवाज़ेकी हुई
तो उठकर देखा;
मज़ाक हमसे हवा
कर गई ....... !
2684
वहमसे भी
अक्सर,
खत्म हो
जाते हैं कुछ
रिश्ते,
कसूर हर बार,
गल्तियोंका नहीं होता।
2685
आज शामको
उसका ,
झूठा वादा
याद आ रहा
हैं मुझे ;
उसने कहा था
की मर जाएंगे,
पर...
तुम्हारी आँखोंमें आँसु नहीं
आने देंगे !