2 May 2018

2681 - 2685 दिल याद वफ़ा वादा जिंदगी इजाज़त सुकून आहट वहम मज़ाक रिश्ते कसूर आँख आँसु शायरी


2681
गरमी बढ़ती ही जा रही हैं,
तेरे शहरमें.......
पर दिल हैं तेरा की,
पिंघलता ही नहीं . . . !

2682
बस जाते हैं दिलमें,
इजाज़त लिए बग़ैर...वो लोग,
जिन्हे जिंदगीभर हम,
पा नहीं सकते.......

2683
वो आए उनकी याद वफ़ा कर गई;
उनसे मिलनेकी चाह सुकून तबाह कर गई;
आहट दरवाज़ेकी हुई तो उठकर देखा;
मज़ाक हमसे हवा कर गई ....... !

2684
वहमसे भी अक्सर,
खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते,
कसूर हर बार,
गल्तियोंका हीं होता।

2685
आज शामको उसका ,
झूठा वादा याद रहा हैं मुझे ;
उसने कहा था की मर जाएंगे, पर...
तुम्हारी आँखोंमें आँसु नहीं आने देंगे !

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