14 May 2018

2736 - 2740 चाह रिश्ते बिछड इन्सान मासूम मुहब्बत हिचकी नेकी दुहाई बेवफ़ाई शायरी


2736
आओ मिलकर ढूंढ ले,
वजह फिरसे एक हो जानेकी;
यूँ एक दूसरेसे बिछडकर,
ना तो तुम अच्छे लगते हो और ना ही हम !

2737
"कुछ रिश्तोमें,
इन्सान अच्छा लगता हैं,
और कुछ इन्सानोंसे,
रिश्ता अच्छा लगता हैं..."

2728
तेरे चाहने वालोंकी भीड़ देख...
मेरी मासूम मुहब्बत सहमसी गयी हैं...
आज फिर बैठे हैं एक हिचकीके इंतजारमें,          
देखें तो सही कब याद करते हैं...!

2739
यूँ तो मोहब्बतकी सारी,
हकीक़तसे वाक़िफ़ हैं हम...
पर उसे देखा तो सोचा,
चलो ज़िन्दगी बर्बाद कर ही लेते हैं...

2740
तेरी नेकीकी अब,
दुहाई दे मुझे...
तेरी बेवफ़ाईसे,
अभी अभी वाक़िफ़ हुवा हूँ.......

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