3 May 2018

2686 - 2690 चाहत नसीब याद महसूस रूह वजह मौक़ा लहजे अजनबी तलाश खतरा सितम आँख शायरी


2686
हमारे बाद नहीं आयेगा,
तुम्हें चाहतका मज़ा,
तुम लोगोंसे कहते फिरोगे,
मुझे चाहो उसकी तरह...!

2687
नसीबके आगे किसकी चलती हैं,
पर इतना याद रखना,
बाहोमें चाहे कोई भी आए,
महसूस वो ही होगा...
जो रूहमें समाया होगा ?

2688
वजह पूछनेका मौक़ा ही,
हाँ मिला दोस्त,
वो लहजे बदलते गये,
हम अजनबी होते गए.......

2689
"कहाँ तलाश करोगे,
तुम मुझ जैसा कोई...
जो तुम्हारे सितम भी सहे,
और तुमपर ही मरे...।"

2690
इनमें खतरा हैं,
डूब जानेका,
झाँकिये मत जनाब,
इन आँखोंमें.......

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