2701
एक उमर बीत
चली हैं,
तुझे
चाहते हुए.......!
और तू आज
भी बेखबर हैं,
कलकी तरह..............!
2702
"मत
दे दुआ किसीको,
अपनी उमर
लगनेकी,
यहाँ ऐसे भी
लोग हैं,
जो
तेरे लिए जिन्दा
हैं...!"
2703
वक़्त कह रहा
हैं,
कि अब
वो न आएगी
वापस...
उम्मीद कह रही
हैं,
ज़रा और
इंतज़ार कर.......!
मोहब्बत
कभी कम नहीं होती...!
2704
प्यार आज भी
तुझसे
उतना ही
हैं...
बस तुझे एहसास
नहीं और,
हमने
भी जताना छोड़
दिया.......
2705
अहसान तो
उनका,
हम अब
भी मानते हैं सितमगर;
आखिर उनका खामोश
हो जाना ही,
तो हमें शायर बना गया...!
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