2766
रात बातोंमें गुजरे,
रात यादोंमें गुजरे,
रात ख़्वाबोंमें गुजरे,
मगर...
रात तन्हा न
गुजरे...!
2767
हमें कहा पता
था,
इश्कके मायने
हुजूर;
तुम मिले और...
जिंदगी मोहब्बत बन गई...!
2768
दिलको तस्सली
हैं,
कि वो याद
करते हैं,
पर बात नहीं
करेंगे...
तो एहसास
कैसे होगा...!
वो एहसास थे; वहीं
ख़ास थे...!
2769
दिल-ए-ज़ज़्बात
जब पिघलते हैं,
लब्ज़ तब शायरीमें ढलते हैं,
चैन मिलता नहीं हैं रातोंको,
ख़्वाबोमें भी
करवटें बदलते हैं,
संग-ए-दिलमें दबे हुए
शोले,
वक्तके साथ
ही मचलते हैं,
ग़मकी बदली
या धूप हो
सुखकी,
अश्क हमेशा आँखोंसे
ही निकलते हैं !
2770
इंसान चाहे कितना
भी आम हो...
वो किसी ना
किसीके लिए,
खास जरूर होता हैं.......!
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