21 May 2018

2766 - 2770 दिल रात बात याद ख़्वाब तन्हा इश्क मोहब्बत तस्सली बात लब्ज़ आँख खास शायरी


2766
रात बातोंमें गुजरे,
रात यादोंमें गुजरे,
रात ख़्वाबोंमें गुजरे,
मगर...
रात तन्हा गुजरे...!

2767
हमें कहा पता था,
इश्कके मायने हुजूर;
तुम मिले और...
जिंदगी मोहब्बत बन गई...!

2768
दिलको तस्सली हैं,
कि वो याद करते हैं,
पर बात नहीं करेंगे...
तो एहसास कैसे होगा...!
वो एहसास थे; वहीं ख़ास थे...!

2769
दिल--ज़ज़्बात जब पिघलते हैं,
लब्ज़ तब शायरीमें ढलते हैं,
चैन मिलता नहीं हैं रातोंको,
ख़्वाबोमें भी करवटें बदलते हैं,
संग--दिलमें दबे हुए शोले,
वक्तके साथ ही मचलते हैं,
ग़मकी बदली या धूप हो सुखकी,
अश्क हमेशा आँखोंसे ही निकलते हैं !

2770
इंसान चाहे कितना भी आम हो...
वो किसी ना किसीके लिए,
खास जरूर होता हैं.......!

No comments:

Post a Comment