5 May 2018

2691 - 2695 प्यार मुहब्बतें सुकुन खामोश चोट शोर ज़िन्दगी इम्तिहान जख्म शायरी


2691
चोट लगी तो,
खून लाल ही निकला,
सोचा था सबकी तरह,
ये भी बदल गया होगा...!

2692
मुहब्बतें खामोश ही ठीक होती हैं,
शोर तो सिर्फ दिखावे मचाते हैं...

2693
ज़िन्दगी गुजर रही हैं,
इम्तिहानोंके दौरसे,
एक जख्म भरता नहीं,
दूसरा तैयार मिलता हैं...!

2694
रुठना तो हर कोई
जानता हैं...
पर सबके पास कोई
प्यारसे मनानेवाला नहीं होता !

2695
एक वो सुकुन और
एक तुम.......
कहाँ रहते हो आजकल;
मिलते ही नहीं.......

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