17 May 2018

2751 - 2755 याद आँखे रंग नादान मुकम्मल शख़्स जहान उम्र ख्वाब ख्वाहिश कागज शायरी


2751
जब भी उनकी,
यादोंने तंग किया,
मैने कोरे कागजोंको,
रंग दिया.......।

2752
सुनो मुझको याद करते हो या...
यादोंका भी रोजा
चल रहा हैं.......!

2753
आये हो आँखोंमें,
तो कुछ देर तो ठहर जाओ,
एक उम्र लग जाती हैं,
एक ख्वाब सजानेमें...!

2754
ख्वाहिश बड़ी नादान होती हैं...
मुकम्मल होते ही...
बदल जाती हैं.......।।

2755
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता...
एक ही शख़्स था जहानमें क्या...?

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