2716
नज़र-ए-बदसे बचना हैं,
तो कहीं और
चले जाओ;
में तुझे देखता
हूँ...
तो पलकें
झपकती ही नहीं !
2717हवाओंसे भी लड़ती हैं,एक चरागके वजूदकी खातिर...शमां' में मां सुनाई देना,महज एक इत्तिफ़ाक़ नहीं.......
2718
मिट्टीका बना
हूँ,
महक उठूंगा.......
बस तू एक
बार बेइँतहा,
'बरस'
के तो देख.......!
2719
वक्तको कैद
करनेकी ख्वाहिश,
दिल ही दिलमें रह गयी;
कोशिश जीनेकी
बहुत की, मगर...
जिंदगी पेट भरनेमें ही ढह
गयी !
2720
नजाकत तो देखिये...
सूखे पत्तेने डालीसे कहा,
चुपकेसे अलग
करना...
वरना लोगोंका
रिश्तोंसे,
भरोसा
उठ जायेगा... !
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