8 May 2018

2706 - 2710 दिल ज़िंदगी इश्क बात सुकून महबूब उलझनें शिकायत वादा अफसोस दम शायरी


2706
सालोसाल बातचीतसे
उतना सुकून नहीं मिलता,
जितना एक बार महबूबके
गले लगकर मिलता हैं...!

2707
उलझनें क्या बताऊँ,
ज़िंदगीकी...
उसीके गले लगकर,
उसीकी शिकायत करनी हैं...!

2708
इश्क वो हैं.......
जब मैं शाम होनेपर,
मिलनेका वादा करूं;
और...
वो दिनभर सूरजके होनेका,
अफसोस करे.......

2709
हम वो नहीं जो दिल तोड़ देंगे,
थाम कर हाथ साथ छोड़ देंगे,
हम दोस्ती करते हैं;
पानी और मछलीकी तरह,
जुदा करना चाहे कोई तो,
हम दम तोड़ देंगे.......

2710
लोगों ने ' मुझमे ' इतनी,
''कमियाँ'' निकाल दी........
कि अब;
''खूबियों'' के सिवाय मेरे पास,
कुछ बचा ही नहीं.......!

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