15 May 2018

2741 - 2745 प्यार मोहब्बत तलाश लम्हे अंदाज़ याद धड़कन ज़माने शायरी


2741
ज्यादा कुछ तो नहीं,
जानता मैं मोहब्बतके बारेमें,
बस तुम सामने आते हो,
तो तलाश ख़तम हो जाती हैं...!

2742
जाने कब खर्च हो गये,
पता ही चला,
वो लम्हे, जो छुपाकर रखे थे...
जीनेके लिए !

2743
किसीको चाहो तो इस अंदाज़से चाहो,
कि वो तुम्हे मिले या ना मिले,
मगर उसे जब भी प्यार मिले,
तो तुम याद आओ.......!

2744
रूक जाये मेरी धड़कन,
तो इसेमौतना समझना;
कई बार ऐसा हुआ हैं,
आपको याद करते करते...!

2745
"मानाके मर जानेपर,
भुला दिए जाते हैं लोग ज़मानेमें,
पर मैं तो अभी जिन्दा हूँ,
फिर कैसे उसने मुझे भुला दिया...?

No comments:

Post a Comment