19 June 2018

2896 - 2900 दिल प्यार मोहब्बत जिन्दगी उसूल साँस होंठ अज़ीज़ क़दर दम इंतज़ार वक़्त लम्हा आँख सुकून वफ़ा ख्वाहिश शायरी


2896
काश... तुम समझ सकती,
मोहब्बतके उसूलोंको,
किसीकी साँसोमें समाकर,
उसे तन्हा नहीं करते...!!!

2897
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि,
जी सँभल जाए,
अब इस क़दर भी न चाहो,
कि दम निकल जाए...

2898
इंतज़ार करते करते,
वक़्त क्यों गुजरता नहीं;
सब हैं यहाँ,
मगर कोई अपना नहीं;
दूर नहीं पर,
फिर भी वो पास नहीं;
है दिमें कहीं,
पर आँखोंसे दूर कहीं !

2899
दिलसे रोये मगर होंठोसे मुस्कुरा बेठे,
यूँ ही हम किसीसे वफ़ा निभा बेठे,
वो हमे एक लम्हा दे पाए अपने प्यारका,
और हम उनके लिये जिन्दगी लुटा बेठे.......

2900
सुकूनकी एक रात भी,
शायद नहीं मेरी जिन्दगीमें...
ख्वाहिशोंको सुलाओ तो,
तुम्हारी यादे जाग जाती हैं.......

18 June 2018

2891 - 2895 दिल इश्क़ हुस्न हसीन मोहब्बत उल्फत आँखे सादगी तस्वीर हुनर काजल खबर आईने शायरी


2891
अपने दिलकी सादगीपें,
रहम आता हैं मुझे...
मुस्कुराकर बात की जिसने,
बस उसीका हो गया.......

2892
कहते हैं मिलती हैं,
मोहब्बतमें बहुतसी उल्फते...
पर आप हो महबूब,
तो सब  क़ुबूल हैं.......

2893
आँखे ही क्या कम थी,
उसपर...
काजल भी लगाते हो,
इश्क़में क़तलके...
तुम भी,
क्या हुनर आज़माते हो...!

2894
हजारोने दिल हारे हैं,
तेरी सुरत देखकर,
कौन कहता हैं
तस्वीर जूआँ नही खेलती !

2895
ये आईने ना दे सकेंगे,
तुझे तेरे हुस्नकी खबर;
कभी मेरी आँखोंसे आकर पूछो,
के कितनी हसीन हों तुम.......!

17 June 2018

2886 - 2890 मोहब्बत वफा आँख नज़र याद मजार सज़दे मंज़र दर्द किस्मत खामोश नसीब लकीर शायरी


2886
मेरी मोहब्बतकी मजार तो,
आज भी वहीं हैं,
बस तेरे ही सज़देकी,
जगह बदल गई.......

2887
उन गलियोंसे जब गुज़रे,
तो मंज़र अजब था;
दर्द था मगर...
वो दिलके करीब था !!!

2888
जिसे हम ढूँढ़ते थे,
अपनी हाथोंकी लकीरोंमें;
वो किसी दूसरेकी किस्मत,
किसी औरका नसीब था...।

2889
तेरी यादोंको पसन्द गई हैं,
मेरी आँखोंकी नमी,
हँसना भी चाहूँ तो...
रूला देती हैं तेरी कमी!

2890
वो सुना रहे थे,
अपनी वफाओंके किस्से...,
हम पर नज़र पड़ी तो,
खामोश हो गए.......

15 June 2018

2881 - 2885 दिल इश्क मोहब्बत बारिश याद फ़र्क़ बारिश जिस्म कोशिश ख्वाब नज़रें चाहत वकालत शायरी


2881
बारिश और मोहब्बत...
दोनो ही बहुत यादगार होते हैं,
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना हैं;
बारिशमें जिस्म भीग जाता हैं,
और मोहब्बतमें आखे...

2882
गर नींद मिल जाए,
तो भेजना जरा,
बहुत सारे ख्वाब,
अधूरे हैं....... !!!

2883
बहुत कोशिशकी आज,
'सिर्फ' बारिशपर शायरी लिखु;
पर हर बौछार 'सिर्फ'...
तुम्हारी याद बरसा रही थी...!

2884
मैं भी किया करता था वकालत,
इश्क वालोंका कभी...
नज़रें उससे क्या मिलीं,
आज खुद कटघरेमें हूँ.......!

2885
दिलकी हालात बताई नहीं जाती,
हमसे उनकी चाहत छुपाई नहीं जाती;
बस एक याद बची हैं उनके चले जानेके बाद,
हमसे तो वो याद भी दिलसे निकाली नहीं जाती।

14 June 2018

2876 - 2880 दिल जिंदगी बेहोशी किस्मत अश्क़ सजा बाते पल दर्द मर्ज़ दवा इलाज बेवफाई शायरी


2876
बेहोशीमें गुजर जाये जिंदगी,
ऐसी किस्मत कहाँ?
होशमें रहनेकी सजा जिंदगी,
देती रहती हैं जहाँ.......!

2877
ऐसा लगता हैं,
सुनकर तेरी बाते;
कम लगते हैं पल,
कम लगती हैं राते !

2878
"हर मर्ज़का इलाज,
नहीं होता दवाख़ानेमें,
कुछ दर्द चले जाते हैं,
सिर्फ़ मुस्कुरानेमें.......!!!"

2879
हाल--दिल,
कुछ इस तरह जानता हैं वो;
बिन रोये भी,
अश्क़ मेरे पहचानता हैं वो !!!

2880
जाते जाते उसने,
पलटकर इतना ही कहा मुझसे,
मेरी बेवफाईसे ही मर जाओगे,
या मारके जाऊँ.......

13 June 2018

2871 - 2875 दिल अहसास याद हिचकियाँ मौजूद कदम निशान हाल राह तन्हा शायरी


2871
हिचकियाँ हमनें भी,
ना रोकी ये सोंच कर कि...
ज़रा देखें कोई किस हद तक,
हमें याद करता हैं.......।

2872
हम तो बिछडे थे,
तुमको अपना अहसास दिलानेके लिए,
मगर तुमने तो,
मेरे बिना जीना ही सिख लिया।

2873
अभी तक मौजूद हैं,
इस दिलपर तेरे कदमोंके निशान,
हमने तेरे बाद किसीको,
इस राहसे गुजरने नहीं दिया...!

2874
पास बैठकर पुछोगी,
तो, सुनाये हाले दिल...
दुरसे पुछोगी,
तो, अच्छा ही कहेगे.......।

2875
गुजरती हैं मेरी कैसे,
हर एक शाम तेरे बगैर...
अगर तुम देख लेते तो,
कभी तन्हा छोड़ते.......

2866 - 2870 जिंदगी मुसाफ़िर आँख कश्ती पागल आँसूं अदा आदत रग होंठ शायरी


2866
जिंदगी, मैं भी
मुसाफ़िर हूँ... तेरी कश्तीका,
तू जहाँ मुझसे कहेगी,
मैं उतर जाऊँगा !

2867
उनकी आँखोंमें समा जाऊँगा,
जलकी तरह,
वो ढूँढती रह जायेगी मुझे,
पागलकी तरह.......!

2868
आँसूं तब नहीं आते,
जब आप किसीको खो देते हो,
आँसूं तब आते हैं,
जब खुदको खोकर भी...
किसीको पा नहीं सकते...!

2869
तेरी अदा समझमें आती हैं,
ना आदत...
ज़िन्दगी,
तू हर रोज़ नयी सी, और...
मैं हर रोज़ वही उलझासा...!

2870
काश ! मैं भी
पानीका एक घूँट होता...
तेरे होंठोंसे लगता...
और तेरी रग-रगमें समा जाता...!

12 June 2018

2861 - 2865 मोहब्बत ज़िन्दगी दुनियाँ आँख ख़्वाब क़त्ल गवाह बातें मतलब असर तकलीफ एहसास हाल शायरी


2861
ना गवाह मिलता हैं,
ना ही लाश मिलती हैं...
"शायद इसलिए लोग,
एहसासका क़त्ल करते हैं...!"

2862
ख़्वाबसे होते हैं कुछ लोग...
सिर्फ़ आँखोंमें ही रहते हैं,
ज़िन्दगीमें नहीं.......!

2863
वो बार-बार पूँछता हैं,
कि क्या हैं मोहब्बत...?
अब क्या बताऊँ उसे कि,
उनका पूँछना और
मेरा बता पाना ही...
मोहब्बत हैं.......!

2864
यूँ असर डाला हैं,
मतलब-परस्तीने दुनियाँपर ग़ालिब,
कि हाल पूछो तो लोग समझते हैं...
कोई काम होगा !

2865
अजनबी लोगोंसे
बातें करना पसंद हैं मुझे;
अपना बनकर बेगाना होनेकी,
ये तकलीफ तो नहीं देते...!

9 June 2018

2856 - 2860 दिल बात दिन रात किस्मत खुबसुरत अदालत फैसले मंजूर आँख ख़याल ज़माना पत्थर शायरी


2856
आधा बुझा दिन मिलता हैं,
आधी जली रातसे,
और वो कहते हैं की,
क्या खुबसुरतसी शाम हैं

2857
काग़ज़पें तो,
अदालत चलती हैं...
हमने तो तेरी आँखोंके,
फैसले मंजूर किये।

2858
दिलसे पूछो तो,
आज भी तुम मेरे ही हो...
ये ओर बात हैं कि,
किस्मत दग़ा कर गयी।

2859
हँसी यूँ ही नहीं आई,
इस खामोश चेहरेपर...
कई जख्मोंको सीनेमें,
दबाकर रख दिया हैं हमने...

2860
शायद ये ज़माना,
उन्हें भी पूजने लगे,
कुछ लोग इसी ख़यालसे,
पत्थरके होने लगे.......

8 June 2018

2851 - 2855 दिल मोहब्बत मशहूर मदहोश दर्द एहसास दुनियाँ साथ खामोश लफ़्ज़ जज़्बात शायरी


2851
मशहूर हो गया हूँ तो ज़ाहिर हैं दोस्तो,
इलज़ाम सौ तरहके मेरे सर भी आयेंगे;
थोड़ासा अपनी चाल बदलकर चलो,
सीधे चले तो मुमकिन हैं पीठमें खंज़र भी आयेंगे।

2852
इतनी पीता हूँ कि,
मदहोश रहता हूँ,
सब कुछ समझता हूँ...
पर खामोश रहता हूँ,
जो लोग करते हैं,
मुझे गिरानेकी कोशिश...
मैं अक्सर उन्हीके साथ रहता हूँ।

2853
टूटा हो दिल तो दुःख होता हैं,
करके मोहब्बत किसीसे ये दिल रोता हैं,
दर्दका एहसास तो तब होता हैं,
जब किसीसे मोहब्बत हो और...
उसके दिलमें कोई और होता हैं

2854
हाथ थामे रखना,
दुनियाँमें भीड़ भारी हैं...
खों ना जाऊ कहीं मैं,
ये जिम्मेदारी तुम्हारी हैं...!

2855
एहसासोंकी अगर जुबाँ होती,
दुनियाँ फिर खूबसूरत कहाँ होती,
लफ़्ज़ बन जातें हैं पर्दे जज़्बातके,
अजी फिर कैसे ये मोहोब्बत बयाँ होती !