28 June 2018

2936 - 2940 दिल ताजमहल कयामत ख्याल आँख आँसु हसीन रिश्ते फितरत बदनाम शायरी हैंहीं


2936
कुछ तो बात हैं चाहतमें
वरना.......
एक लाशके लिये कोई
ताजमहल नहीं बनाता...!

2937
"तु दिलसे ना जाये तो मैं क्या करू,
तु ख्यालोंसे ना जाये तो मैं क्या करू,
कहते हैं ख्वाबोंमें होगी मुलाकात उनसे,
पर नींद आये तो मैं क्या करू......."

2938
मेरी आँखोंमें झाँकनेसे पहले,
जरा सोच लीजिये हुजूर,
जो हमने पलके झुका ली तो कयामत होगी,
और हमने नजरें मिला ली तो मुहब्बत...!!!

2939
ख्वाबोंका रंगीन होना गुनाह हैं,
इंसानका जहीन होना गुनाह हैं l

कायरता समझते हैं लोग मधुरताको,
जुबानका शालीन होना गुनाह हैं l

खुदकी ही लग जाती हैं नजर,
हसरतोंका हसीन होना गुनाह हैं l

लोग इस्तेमाल करते हैं नमककी तरह,
आँसुओंका नमकीन होना गुनाह हैं l

दुश्मनी हो जाती हैं मुफ्तमें सैंकड़ोंसे,
इंसानका बेहतरीन होना गुनाह हैं l

2940
रिश्ते तोड़ देना,
हमारी फितरतमें नहीं,
हम तो बदनाम हैं,
रिश्ते निभानेके लिए.......

2931 - 2935 प्यार बेशुमार खामोशी बेवफा याद कांटे मज़ाक मुलाकात नाराज वास्ता गम शायरी


2931
खामोशीसे बिखरना गया हैं,
हमें अब खुद उजड़ना गया हैं l

किसीको बेवफा कहते नहीं हम,
हमें भी अब बदलना गया हैं l

किसीकी यादमें रोते नहीं हम,
हमें चुपचाप जलना गया हैं l

गुलाबोंको तुम अपने पास ही रखो,
हमें कांटोंपें चलना गया हैं...!

2932
हमने भी कभी प्यार किया था,
थोड़ा नहीं बेशुमार किया था;
दिल टूटकर रह गया,
जब उसने कहा,
अरे मैने तो मज़ाक किया था...

2933
ज्यादा देर यूँ एक जगह नहीं रूकता हूँ मैं,
बंजारोंका कभी कोई ठिकाना हुआ हैं क्या;
दीवानोंकी बातें भला कोई समझे तो कैसे,
दीवानोंका कभी कोई दीवाना हुआ हैं क्या...

2934
कब रहे हो,
मुलाकातके लिये,
हमने बादल रोका हैं...
तुम्हे भिगानेके लिये.......!

2935
तू नाराज रहा कर,
तुझे वास्ता हैं खुदाका,
एक तेरा ही चेहरा खुश देखकर तो,
हम अपना गम भुलाते हैं...

26 June 2018

2926 - 2930 दिल मोहब्बत प्यार जान सबूत गुनाह लाज़मी जुदाई तन्हा सजा महफ़िल मसरूफ़ शायरी हैंहींपें


2926
सबूत गुनाहोंके होते हैं...
अपनी बेगुनाह मोहब्बतका,
क्या सबूत दू.......!

2927
हर रोज कुछ कहना लाज़मी नहीं,
पर ये जान लो...
तुम ही हो जिसको इस दिलमें,
खास जगह दी हैं.......!

2928
लाजमी तो नही हैं,
कि तुझे आँखोंसे ही देखूँ;
तेरी यादका आना भी,
तेरे दीदारसे कम नही...!!

2929
जो तू चाहती हो,
तो ये जुदाई भी सह लेंगे;
तू सजा महफ़िल,
हम तन्हा रह लेंगे.......

2930
बहुत मसरूफ़ हो शायद,
जो हम को भूल बैठे हो;
ये पूछा कहाँपें हो,
यह जाना के कैसे हो...

25 June 2018

2921 - 2925 जिंदगी दुनिया राह गम कयामत मंजिल गुम रास्ते तमीज़ बात झूठ मीठा आँसू आँखे शायरी


2921
जिंदगीकी राहोमें,
रंज और गमके मेले हैं !
भिड हैं कयामतकी,
फिर भी हम अकेले हैं !!!

2922
मंजिल मिल ही जायेगी,
भटकनेपर ही सही 
गुमराह तो वो लोग हैं,
जो कभी घरसे निकले ही हीं...!

2923
मुझे मालूम था...
कि वो रास्ते कभी,
मेरी मंजिलतक नहीं जाते थे,
फिर भी मैं चलता रहा...
क्यु की उस राहमें,
कुछ अपनोंके घर भी आते थे...।

2924
सचको तमीज़ ही नहीं,
बात करनेकी;
झूठको देखो,
कितना मीठा बोलता हैं.......

2925
आँसू बिना आँखे,
इतनी खूबसूरत नहीं होती,
गम बिना खुशीकी,
कोई किमत हीं होती।
अगर मिल जाती हर चीज चाहनेसे,
तो दुनियामें दुआओकी,
जरुरत नहीं होती।

24 June 2018

2916 - 2920 याद वजह सुकून जहन साँस भूल दर्द गम बहाने तलाश शायरी


2916
किसी को याद करने कि,
वजह नहीं होती हर बार,
जो सुकून देते हे वो,
जहनमें जिया करते हैं...

2917
तुम याद हर साँसके साथ रहे हो...
अब तुम ही बताओ,
तुम्हारी याद रोक दूँ...
या अपनी साँस.......!

2918
जब तक जिन्दा हूँ,
हाल तो पूछ लिया करो...
इतना तो हम भी जानते हैं,
मिट्टीमें सोने के बाद तो...
घरवाले भी भूल जाते हैं !

2919
बढ रहा हैं दर्द गम,
उस को भुला देनेके बाद;
याद उसकी और आई,
खत जला देनेके बाद...

2920
वो अचानक नहीं बिछड़ी मुझसे...
न जाने कबसे.......
उसे एक बहानेकी
तलाश थी l

22 June 2018

2911 - 2915 दिल मुहब्बत इश्क़ रौशनी याद लब आँसु नफरत आँख लम्हे शायरी


2911
उनकी यादमें खुदको,
कुछ इस तरह जला देता हूँ;
आगसे लिखता हूँ नाम उनका,
और आँसुओंसे बुझा देता हूँ...!

2912
नफरतोंको जलाओ,
मुहब्बतकी रौशनी होगी
इंसान तो जब भी जले,
राख ही हुऐ हैं 

2913
काश तू मेरी...
आँखोंका आँसू बन जाए,  
मैं रोना ही छोड़ दूँ,
तुझे खोनेके डरसे !!!

2914
शायरी...
उसीके लबोंपर सजती हैं;
जिसकी आँखोंमें,
इश्क़ रोता हो...!

2915
गुजरे हुए लम्होंको,
मेनेका दिल करता हैं,
तेरे संग बिताए हर एक पलमें,
रंग भरनेका जी करता हैं...!

21 June 2018

2906 - 2910 मोहब्बत अहसास हालात गहरा परेशान तक़दिर बेपनाह दर्द ख़ामोशी प्यास तलाश शायरी


2906
वोह बोली मोहब्बतका समुंदर,
बहोत गहरा होता हैं...
हमने भी कह दिया,
डूबनेवाले सोचा नहीं करते.......

2907
अपनी हालातका,
ख़ुद अहसास नहीं हैं मुझको,
मैने औरोंसे सुना हैं,
बहोत परेशान हूँ मैं.......

2908
तक़दिरको इस तरह,
अपनाया हैं मैंने...
जिसने देखा ही नहीं मुडके,
उसे बेपनाह चाहा हैं मैने.......

2909
इतना दर्द तो शायद,
मरने से भी होगा,
जितना दर्द तेरी...
ख़ामोशीने दिया हैं.......

2910
गुज़रते लम्होंमें,
सदियाँ तलाश करता हूँ;
ये मेरी प्यास हैं,
नदियाँ तलाश करता हूँ...

20 June 2018

2901 - 2905 जिंदगी तकदीर जुल्फ बूंदे आँख साँस ज़ख्म पलक बारिश कयामत मतलब रूठ इश्क चाहत बेमिसाल इबादत शायरी


2901
काश तकदीर भी होती,
जुल्फोंकी तरह,
जब जब बिखरती,
तब तब संवार लेते...!

2902
आँखोंके छोरपर,
सुबह कुछ बूंदे अटकी थी;
लगता हैं रात पलकोतले...
खूब बारिश हुई हैं !

2903
आज मुझसे पूछा उसने,
कयामतका मतलब...
और मैने घबराके कह दिया,
जान,  'रूठ जाना तेरा'.......

2904
जरूरी नहीं जो,
शायरी करे उसे इश्क ही हो;
जिंदगी भी कुछ ज़ख्म,
बेमिसाल देती हैं.......

2905
चाहत बन गये हैं वो,
कि आदत बन गये हैं वो...!
हर साँसमें यू आते जाते हो,
जैसे मेरी इबादत बन गये हैं वो...!

19 June 2018

2896 - 2900 दिल प्यार मोहब्बत जिन्दगी उसूल साँस होंठ अज़ीज़ क़दर दम इंतज़ार वक़्त लम्हा आँख सुकून वफ़ा ख्वाहिश शायरी


2896
काश... तुम समझ सकती,
मोहब्बतके उसूलोंको,
किसीकी साँसोमें समाकर,
उसे तन्हा नहीं करते...!!!

2897
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि,
जी सँभल जाए,
अब इस क़दर भी न चाहो,
कि दम निकल जाए...

2898
इंतज़ार करते करते,
वक़्त क्यों गुजरता नहीं;
सब हैं यहाँ,
मगर कोई अपना नहीं;
दूर नहीं पर,
फिर भी वो पास नहीं;
है दिमें कहीं,
पर आँखोंसे दूर कहीं !

2899
दिलसे रोये मगर होंठोसे मुस्कुरा बेठे,
यूँ ही हम किसीसे वफ़ा निभा बेठे,
वो हमे एक लम्हा दे पाए अपने प्यारका,
और हम उनके लिये जिन्दगी लुटा बेठे.......

2900
सुकूनकी एक रात भी,
शायद नहीं मेरी जिन्दगीमें...
ख्वाहिशोंको सुलाओ तो,
तुम्हारी यादे जाग जाती हैं.......

18 June 2018

2891 - 2895 दिल इश्क़ हुस्न हसीन मोहब्बत उल्फत आँखे सादगी तस्वीर हुनर काजल खबर आईने शायरी


2891
अपने दिलकी सादगीपें,
रहम आता हैं मुझे...
मुस्कुराकर बात की जिसने,
बस उसीका हो गया.......

2892
कहते हैं मिलती हैं,
मोहब्बतमें बहुतसी उल्फते...
पर आप हो महबूब,
तो सब  क़ुबूल हैं.......

2893
आँखे ही क्या कम थी,
उसपर...
काजल भी लगाते हो,
इश्क़में क़तलके...
तुम भी,
क्या हुनर आज़माते हो...!

2894
हजारोने दिल हारे हैं,
तेरी सुरत देखकर,
कौन कहता हैं
तस्वीर जूआँ नही खेलती !

2895
ये आईने ना दे सकेंगे,
तुझे तेरे हुस्नकी खबर;
कभी मेरी आँखोंसे आकर पूछो,
के कितनी हसीन हों तुम.......!