3251
हम फना हो
गए,
बदले वो
फिर भी नहीं;
हमारी मोहब्बतसे कहीं
ज्यादा,
सच्ची उनकी नफरत
निकली.......!
3252
कितनी अजीब हैं,
इस शहरकी
तन्हाई भी,
हज़ारो लोग हैं मगर...
फिरभी
कोई उस जैसा
नहीं...!
3253
सब कुछ लूटकर मेरा,
ले गयी वो
बेवफा;
काश एक कोनेमें पड़ी,
मेरी तन्हाई भी ले
जाती.......
3254
वो उलझे
रहे,
हमें आजमानेमें;
और हम हदसे गुजर गए,
उन्हें चाहनेमें.......!
3255
चुपके चुपके कोई...
गमका खाना,
हमसे सीख जाये;
जी ही जीमें तिलमिलाना कोई...
हमसे सीख
जाये;
अब्र क्या आँसू
बहाना कोई...
हमसे
सीख जाये;
बर्क क्या हैं तिलमिलाना कोई...
हमसे सीख जाये।