5 September 2018

3251 - 3255 फना मोहब्बत नफरत अजीब तन्हाई बेवफा हद गुजर चाहन गम बर्क आँसू शायरी


3251
हम फना हो गए,
बदले वो फिर भी नहीं;
हमारी मोहब्बतसे कहीं ज्यादा,
सच्ची उनकी नफरत निकली.......!

3252
कितनी अजीब हैं,
इस शहरकी तन्हाई भी,
हज़ारो लोग हैं मगर...
फिरभी कोई उस जैसा नहीं...!

3253
सब कुछ लूटकर मेरा,
ले गयी वो बेवफा;
काश एक कोनेमें पड़ी,
मेरी तन्हाई भी ले जाती.......

3254
वो उलझे रहे,
हमें आजमानेमें;
और हम हदसे गुजर गए,
उन्हें चाहनेमें.......!

3255
चुपके चुपके कोई...
गमका खाना,
हमसे सीख जाये;
जी ही जीमें तिलमिलाना कोई...
हमसे सीख जाये;
अब्र क्या आँसू बहाना कोई...
हमसे सीख जाये;
बर्क क्या हैं तिलमिलाना कोई...
हमसे सीख जाये।

4 September 2018

3246 - 3250 ज़िंदगी मोहब्बत दुनिया कशिश नज़र अंदाज़ हिसाब मदहोश आँख लम्हा शायरी


3246
कितनी कशिश हैं,
इस मोहब्बतमें;
लोग रोते हैं मगर,
फिर भी करते हैं.......!

3247
जाने क्या कशिश हैं,
तुम्हारी  इन मदहोश आँखोंमें;
नज़रअंदाज़ जितना करो,
नज़र उसपें ही पड़ती हैं.......

3248
लोग कहते हैं पिये बैठा हूँ मैं,
खुदको मदहोश किये बैठा हूँ मैं;
जान बाकी हैं वो भी ले लीजिये,
दिल तो पहले ही दिये बैठा हूँ मैं...!

3249
सपनोंकी दुनियामें,
हम खोते चले गए;
मदहोश थे पर,
मदहोश होते चले गए; 
ना जाने क्या बात थी,
उस चेहरेमें;
ना चाहते हुए भी...
उसके होते चले गए.......।

3250
करने लगे हिसाब--ज़िंदगी,
तो रो बैठे;
गिनते रहे सालोंको,
और लम्होंको खो बैठे.......

3 September 2018

3241 - 3245 प्यार पत्थर आँख शीशा दर्द याद काबिल बारिश अजीब इशारे लहर ख्याल कशिश शायरी


3241
ये कैसी कशिश हैं उसमें
चुप हैं पर सुनाई देता हैं 

3242
कशिश तोह बहुत हैं मेरे प्यारमें,
लेकिन कोई हैं पत्थर दिल जो पिघलाता नहीं;
अगर मिले खुद तो माँगूगा उसको,
सुना हैं ख़ुदा मरनेसे पहले मिलते नहीं...

3243
शीशा तो टूटके,
अपनी कशिश बता देता हैं...
दर्द तो उस पत्थरका हैं,
जो टुटनेके काबिल भी हीं...

3244
अजीबसी कशिश थी,
तेरी आँखोंके इशारेमें,
वरना लहरोंपर चलने वाले,
किनारोंपर नहीं डुबा करते...!

3245
भीगते हैं जिस तरहसे,
तेरी यादोंमें डूबकर,
इस बारिशमें कहाँ वो,
कशिश तेरे ख्यालों जैसी...

2 September 2018

3236 - 3240 ज़िन्दगी मुसीबत फर्क बिखर निखर सोच शायरी


3236
मुसीबत सबपर आती हैं,
फर्क सिर्फ इतना हैं कि...
इससे कोई बिखर जाता हैं,
और कोई निखर जाता हैं...!

3237
चलो ना.......
जी ले कुछ इस कदर,
कि लगे जैसे...
जिन्दगी हमे नहीं,
जिन्दगीको हम मिल गये हैं...!

3238
मत सोच रे बन्दे,
इतना ज़िन्दगीके बारेमें...
जिसने ये ज़िन्दगी दी हैं,
उसने भी तो कुछ सोचा ही होगा,
तेरे बारेमें.......!

3239
यह आग भी,
कितनी अनमोल चीज हैं !
महज बातोंसे भी लग जाती हैं, 
पता नहीं कब बुझेगी.......

3240
तमीज़, तहज़ीब, अदब...
ज़िन्दगीमें बोलती हैं;
लाख छुपाए इन्सानपर...
शख़्सियत निशाँ छोड़ती हैं.......

31 August 2018

3231 - 3235 आशिक़ दिल मोहब्बत अदा दिवाने प्यार नाम अंदाज़ वजह आँख नजर होंठ महक झलक जिस्म जख्म शायरी


3231
अंदाज़ा मेरी मोहब्बतका,
सब लगा लेते हैं...
जब तुम्हारा नाम सुनकर,
हम मुस्कुरा देते हैं...

3232
हम तो तेरे शख्सियतके दिवाने हैं.
वो और होंगे जो
जिस्मानी पसंदको ही प्यार समझते हैं...
यहीं वजह हैं की
तुम हमसें दुर रहके भी पास हो...!

3233
आँखोंमें नजर आती हैं,
होंठोंपर महक जाती हैं...
लाख छुपाओ मोहब्बतको मगर,
अदाओंमें झलक जाती हैं...

3234
जिस्मपर जो,
जख्मके निशान हैं...
वो बचपनके हैं,
बादके तो सारे दिलपर हैं...!

3235
मैं ख़ूबसूरत सही...
आशिक़ तो हूँ;
इतना तो पता हैं,
तुम्हें भी.......

30 August 2018

3226 - 3230 दिल खुश याद नज़र मुमकिन गुनाह दाग नज़र रिश्ते अल्फ़ाज़ अहसास मोहब्बत रूह वक़्त उम्मीद कोशिश शायरी


3226
कितना भी खुश रहनेकी,
कोशिश कर लो...
जब कोई बेहद याद आता हैं,
तो सचमें बहुत रुलाता हैं...!!!

3227
हर नज़रमें मुमकिन नहीं हैं,
बेगुनाह रहना,
चलो...
कोशिश करते हैं ,
ख़ुदकी नज़रमें, बेदाग रहें !!!

3228
रिश्ते निभानेके लिए,
हम जितना झुकते हैं...
लोग अक्सर उतना ही,
झुकाने कि कोशिश करते हैं...!

3229
वो कोशिश ही करते रह गए,
अल्फ़ाज़ोंसे दिल छूनेकी...
हम तो अहसास थे,
मोहब्बतकी रूह छूकर चले गए...

3230
कोशिश तो रोज़ करते हैं के,
वक़्तसे समझौता कर लें...
कम्बख़्त दिलके कोनेमें छुपी,
उम्मीद मानती ही नहीं.......!

29 August 2018

3221 - 3225 भूल मर्जी जमाना हकीक़त ख्वाब ख्वाहिश कोशिश खूबी हँसी रुठे मनाना बात शायरी


3221
रुठो मत, हमे मनाना नहीं आता...
दूर मत जाना, हमे बुलाना नहीं आता...
तुम भूल जाओ, तुम्हारी मर्जी;
मगर हम क्या करे...
हमे तो भुलाना भी नहीं आता...!

3222
माना के हमे आपको...
हँसाना नहीं आया,
रुठे जो कभी तो...
मनाना नहीं आया,
पर सच बात तो...
एक ये भी हैं;
जमाना गुजर गया फिर भी...
हमे आपको भुलाना ना आया...!

3223
तुम्हें भुलाना भी चाहूँ,
तो किस तरह भूलूँ;
के तुम तो फिर भी हकीक़त हो,
कोई ख्वाब नहीं.......!

3224
हम खुद आपसे,
ख्वाहिश रखते हैं,
और वो ना पूरी होनेपर...
खुद ही उसे भुलनेकी,
कोशिश करते हैं

3225
"क्या पता क्या खूबी हैं,
उनमे और क्या कमी हैं हममें;
वो हमे अपना नहीं सकते,
और हम उन्हे भुला नहीं सकते !!"

28 August 2018

3216 - 3220 दिल जिंदगी हकीकत अजनबी नजदीक उम्मीदें बेवजह लफ्ज बात नज़र अंदाज शायरी


3216
बुरा इतना भी नहीं मैं,
हकीकतमें दरअसल...
मैं खुदको देख रहा था,
दूसरोंकी नज़रोंसे.......!

3217
बहुत दूर तक जाना पडता हैं,
सिर्फ ये जाननेके लिये...
कि नजदीक कौन हैं.......

3218
अजनबी बनकर,
निकल जाओ तो अच्छा हैं;
सुलग जाती हैं,
उम्मीदें बेवजह.......

3219
छुपी होती हैं,
लफ्जोंमें बातें दिलकी,
लोग शायरी समझके,
बस मुस्कुरा देते हैं.......!

3220
जिंदगी आसान हीं होती,
इसे आसान बनाना पड़ता हैं
कुछ अंदाजसे...
कुछ नज़रअंदाज़से...।।

3211 - 3215 आराम दिल दर्द मोहब्बत तज़ुर्बे याद नाम आवाज़ ख़ास वक्त लफ्ज मुस्कुरा शायरी


3211
कहीं और सिर टिका लूँ तो,
आराम नहीं आता...
बेअक्ल दिल अच्छी तरह पहचानता हैं,
कन्धा तुम्हारा.......!

3212
दर्द अपनी इबारत,
लिखता हैं ख़ुद l
मोहब्बतमें सबके तज़ुर्बे,
खूबसूरत नहीं होते ll

3213
याद कर लेना मुझे तुम,
कोई भी जब पास हो;
चले आएंगे इक आवाज़में,
भले हम ख़ास हों...

3214
कही तो वो लिखते होंगे,
अपने दिलकी छुपी बाते;
कही तो बेशुमार लफ्जोमें,
मेरा नाम भी होगा...!!!

3215
जब वो मुझे देखकर,
पहली बार मुस्कुराई थी,
मैं तो उसी वक्त समझ गया की,
ये मुझे मुद्दतों तक रुलायेगी...

26 August 2018

3206 - 3210 जिंदगी मोहब्बत अक्सर गहरे ज़ख्म खत्म रिश्ता आरज़ू वक़्त साज़िश मसरूफ़ नाज़ साथ पास हौंसला बर्बाद शायरी


3206
अक्सर जिनकी हँसी,
बहुत खूबसूरत होती हैं;
उनके ज़ख्म भी,
बहुत गहरे होते हैं...

3207
"मेरी हर तलाश,
तुमपर ही खत्म होगी;
मैंने अपनी आरज़ूओंको बस,
इतने ही पंख लगाये हैं " !

3208
नहीं होगा रिश्ता कमज़ोर,
हमारा और आपका;
ये तो वक़्तकी साज़िश हैं की,
कभी हम मसरूफ़ तो कभी तुम...!

3209
तेरी कमी भी हैं,
तेरा साथ भी हैं,
तू दूर भी हैं,
तू पास भी हैं,
खुदा ने यूँ नवाज़ा तेरी मोहब्बतसे,
मुझे गुरुर भी हैं और नाज़ भी हैं...!

3210
हो सकती हैं जिंदगीमें,
मोहब्बत दोबारा भी...
बस हौंसला चाहिए,
फिरसे बर्बाद होनेका ।।