30 August 2018

3226 - 3230 दिल खुश याद नज़र मुमकिन गुनाह दाग नज़र रिश्ते अल्फ़ाज़ अहसास मोहब्बत रूह वक़्त उम्मीद कोशिश शायरी


3226
कितना भी खुश रहनेकी,
कोशिश कर लो...
जब कोई बेहद याद आता हैं,
तो सचमें बहुत रुलाता हैं...!!!

3227
हर नज़रमें मुमकिन नहीं हैं,
बेगुनाह रहना,
चलो...
कोशिश करते हैं ,
ख़ुदकी नज़रमें, बेदाग रहें !!!

3228
रिश्ते निभानेके लिए,
हम जितना झुकते हैं...
लोग अक्सर उतना ही,
झुकाने कि कोशिश करते हैं...!

3229
वो कोशिश ही करते रह गए,
अल्फ़ाज़ोंसे दिल छूनेकी...
हम तो अहसास थे,
मोहब्बतकी रूह छूकर चले गए...

3230
कोशिश तो रोज़ करते हैं के,
वक़्तसे समझौता कर लें...
कम्बख़्त दिलके कोनेमें छुपी,
उम्मीद मानती ही नहीं.......!

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