3106
कुछ तुम कहो, कुछ हम कहे,
आओ हम साथमें कहते सुनते;
सुनते कहते इन बातोंकी...
बारीशमें भीग
जाए।
3107
मेरा तुझसे
मिलना...
मेरे लिए
ख़्वाब सहीं,
पर... ;
मैं तुझे भूल
जाऊ,
ऐसा लम्हा
मेरे पास नहीं...
3108
लुफ्त-ए-इश्क,
सिर्फ वो ही
समझते हैं...
दिल जिनके धडकते नहीं,
सुलगते हैं.......!
3109
ना जाने मेरी
मौत कैसी होगी!
पर ये तय
हैं;
तेरी जुदाईसे,
बेहतर होगी.......!
3110
ये रिश्ते भी अजीब
होते हैं...
बिना विश्वासके शुरू
नहीं होते,
और बिना धोखेके,
खत्म नहीं
होते.......!
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