18 August 2018

3176 - 3180 दिल प्यार आसमान तमन्ना कमाल फुर्सत रुतबा तकलीफ याद जनाजा क़र्ज़ सपने बेवफा दफन शायरी


3176
छू ना सकूं आसमान,
तो ना ही सही
आपके दिलको छूजाऊं,
बस इतनीसी तमन्ना हैं...!

3177
कमाल करता हैं,
तू भी दिल...
उसे फुर्सत नहीं,
और तुझे चैन नहीं.......!

3178
तेरी बेरुखीको भी रुतबा दिया हमने,
तेरे प्यारका हर क़र्ज़ अदा किया हमने;
मत सोचके हम भूल गए हैं तुझे,
आज भी खुदासे पहले याद किया हैं तुझे...!

3179
वो कह गये थे की,
अब कभी आएँगे;
रातको सपनोंमें आये थे...
झूठे कहींके.......!

3180
जनाजा मेरा उठ रहा था,
फिर भी तकलीफ थी उसे आनेमें;
बेवफा घरमें बैठी पूछ रही थी,
और कितनी देर हैं दफनानेमें...?

No comments:

Post a Comment