3126
कहीं बह न
जाऊ ए दिल,
तू संभलना जरा...
सुना हैं आज
इन गलियोंमें,
वो
फिरसे आये हैं...!!!
3127
वफ़ा सीखनी हैं,
तो
मौतसे सीखो;
जो एक बार
अपना बना ले,
फिर किसीका होने
नहीं देती...!
3128
तेरे हर दर्दको अपना बनालुँ ।
तेरी हर तकलीफको सिनेसे
लगालुँ ।
मुझे करनी नहीं आती चोरी ।
वरना तेरे आँखोंसे आँसुकी
बुंदे चुरालुँ ।।
3129
आँखोंमें आँसू
हैं,
फिर भी
दर्द सोया हैं...!
देखने वाले क्या
जानेकी,
हँसने
वाला कितना रोया
हैं.......!
3130
तुम अगर चाहो
तो,
पूछ लिया
करो खैरियत हमारी...
कुछ हक़ दिए
नहीं जाते,
ले
लिए जाते हैं.......!
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