4 August 2018

3111 - 3115 दिल रिश्ता नींद लाश अक्सर आईना नसीब दायाँ बायाँ नज़र गरीब शायरी


3111
मिट जाते हैं अक्सर,
औरोंको मिटानेवाले...
लाश कहाँ रोती हैं...?
रोते हैं जलाने वाले.......!

3112
रहो सबके दिलमें ऐसे कि,
जो भी मिले तुम्हें अपना समझे;
बनाओ सबसे रिश्ता ऐसा कि,
जो भी मिले फिरसे मिलनेको तरसे l

3113
एक नींद हैं...
जो रातभर नहीं आती;
एक नसीब हैं...
जो जाने कबसे सो रहा हैं.......

3114
आईना भी भला,
कब किसीको सच बता पाया हैं;
जब भी देखो,
दायाँ तो बायाँ ही नज़र आया हैं...!

3115
छिन लेता हैं,
मुझसे तू हर चीज हैं, खुदा,
पता ना था...
तू इतना गरीब हैं !!!

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