3156
प्रेम अबूझ,
प्रेम पहेली;
इश्क निर्धन,
मोहब्बत अकेली.......!
3157
"अपनी
उदासीयाँ,
तू मुझे
दे दे...
तू मेरे हिस्सेका,
मुस्कुरा लिया
कर...! "
3158
हमने तो कर
दिया,
इजहारे इश्क
सबके सामने...!
अब मसला आपका
हैं,
खुलकर कीजिये,
या आँखोंसे.......!
3159
मत कर हिसाब,
किसीके प्यारका;
कहीं बादमें
तू खुद ही,
कर्ज़दार न निकले.......!
3160
अब ढूढ़ रहे
हैं वो मुझको,
भूल जानेके तरीके;
खफा होकर
उसकी मुश्किलें,
आसान
कर दी मैंने.......!
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