25 March 2019

4036 - 4040 मोहब्बत ज़िन्दगी लम्हा बातें याद रिवाज़ फिक्र एहसास रिश्ते प्यार तकलीफ शायरी


4036
बडा तकलीफ देता हैं,
वो लम्हा ज़िन्दगीका;
जब हम चाहकर भी,
किसीके नही हो सकते...!

4037
वो लम्हा मेरी ज़िन्दगीका,
बड़ा अनमोल होता हैं...
जब तेरी बातें तेरी यादें,
तेरा माहौल होता हैं.......

4038
सुबहका प्रणाम सिर्फ रिवाज़ही नही,
बल्कि आपकी फिक्रका एहसास भी हैं...
रिश्ते ज़िन्दा रहे और,
यादें भी बनी रहे.......!

4039
हर पलमें प्यार हैं,
हर लम्हेमें खुशी हैं;
खो दो तो यादें हैं,
और जी लो तो ज़िन्दगी हैं....!

4040
मोहब्बत एक खेल था ताशका,
वो बाजी मार गये...!
हम बादशाह होकर भी,
एक बेगमसे हार गये.......!

23 March 2019

4031 - 4035 शिद्दत याद अकेला इंतजार तलब आँख वक़्त लम्हा शायरी


4031
अच्छा-बुरा जैसा भी हूँ,
शिद्दतसे जी लेना मुझे...
बस एक लम्हा ही तो हूँ,
चुपकेसे गुजर जाऊँगा...!

4032
याद आऊं तो चले आना,
लम्हा आज भी वहीं थमा हैं...l
जिस मोड़पर तुमने,
मुझे अकेला कर दिया था...ll

4033
कई शाम गुजर गई,
कई राते गुजर गई...!
ना गुजरा तो सिर्फ एक लम्हा,
वो तेरे इंतजारका.......!

4034
तलब हैं या जुनूँ,
मेरी आँखोंका...?
हर लम्हा मुझमें,
तू पिघलासा क्यूँ हैं ?

4035
जी लो हर लम्हा,
बीत जानेसे पहले...
लौटकर यादें आती हैं,
वक़्त नहीं.......

4026 - 4030 असलियत कदर मतलब चाहत दुनिया तकलीफ सुकून फुर्सत शामिल याद लम्हा ख्याल शायरी


4026
ख्यालोंमें बीत रहा,
हर लम्हा तेरा हैं...
असलियत भी तेरी थी,
ख्याल भी तेरा हैं...!!!

4027
कदर करलो उनकी जो तुमसे,
बिना मतलबकी चाहत करते हैं...
दुनियामें ख्याल रखनेवाले कम और,
तकलीफ देनेवाले ज़्यादा होते हैं...!

4028
सब कुछ मिला सुकूनकी दौलत नहीं मिली, 
एक तुझको भूल जानेकी मौहलत नहीं मिली, 
करनेको बहुत काम थे अपने लिए मगर,
हमको तेरे ख्यालसे कभी फुर्सत नहीं मिली।

4029
तुम्हारा ख्याल मेरे मनसे,
जाये भी... तो जाये कैसे...
कि तुम मेरे ख्यालके,
ख्यालोंमें भी शामिल हो...!!!

4030
जाने क्यों आती हैं याद तुम्हारी,
चुरा ले जाती हैं आँखोंसे नींद हमारी;
अब यही ख्याल रहता हैं सुबह शाम,
कब होगी श्याम तुमसे मुलाकात हमारी

22 March 2019

4021 - 4025 अच्छा ताज्जुब मुहब्बत रंगीन फिज़ा रूह इश्क़ तस्वीर इत्तेफाक ख्याल शायरी


4021
कितना अच्छा लगता हैं,
जब कोई कहता हैं,
अपना ख्याल रखना,
मेरे लिए.......!

4022
ताज्जुब हैं तेरी,
गहरी मुहब्बतपर...
तू मेरे रूहमें हैंऔर...
मैं तेरे ख्यालमें भी नहीं...

4023
तेरे ख्यालसे फिज़ाका,
यूँ रंगीन हो जाना...!
महज़ ये इत्तेफाक हीं,
सबूत--इश्क़ हैं.......!

4024
तेरे ख्यालमें जब
बे-ख्याल होता हूँ,
ज़रासी देरको सही
बे-मिसाल होता हूँ।

4025
तेरी तस्वीर, तेरा ख्याल,
तेरी याद और तेरा ख़्वाब,
सब तेरा ही रख रखा हैं मैंने,
अपनी चार दीवारीमें.......।

20 March 2019

4016 - 4020 ज़िंदगी खुशबू अजीब कयामत आफत इबादत नाराज़ वक्त किश्त खयाल शायरी


4016
इक ठहरा हुआ,
खयाल तेरा;
कितने लम्होंको,
रफ़्तार देता हैं...

4017
सारा बदन अजीबसी,
खुशबूसे भर गया...
शायद तेरा खयाल,
हदाेंसे गुजर गया...!

4018
तेरा खयाल भी हैं,
क्या गजब...
ना आए तो आफत,
जो जाए तो कयामत...!

4019
खयालोंमेंउसके,
मैने बिता दी ज़िंदगी सारी; 
​​इबादत कर नहीं पाया,
खुदा नाराज़ मत होना...

4020
हर रोज़ हर वक्त,
तेरा ही खयाल...
जाने किस कर्जेकी,
किश्त हो तुम.......!

19 March 2019

4011 - 4015 चेहेरे शर्म याद नसीब बारिशें बाजार पलकें सुकून ख्वाहिशें शायरी


4011
दर्ज हैं इसमें,
ख्वाहिशें सबकी;
मेरे चेहेरेमें मेरा,
कुछ भी हीं...

4012
बेशर्म हो गयी हैं,
ये ख्वाहिशें मेरी...
मैं अब बिना किसी बहानेके,
तुम्हे याद करने लगा हूँ...!

4013
भरे बाजारसे अक्सर,
ख़ाली हाथ ही लौट आता हूँ...
पहले पैसे नहीं थे,
अब ख्वाहिशें नहीं रहीं...!

4014
मुझपर नसीबकी बारिशें,
कुछ इस तरहसे होती रहीं...
ख्वाहिशें सूखती रहीं और,
पलकें भीगती रहीं.......

4015
चलो चलकर,
सुकून ही ढूंढ लाएँ,  
ख्वाहिशें तो,
खत्म होनेसे हीं...!

18 March 2019

4006 - 4010 मोहब्बत मतलब जवाब इलाज चाँद चर्चा आसमान एहसास चौखट वादा तन्हाई शायरी


4006
सुना हैं हर बातका,
जवाब रखते हो तुम...
क्या... तन्हाईका भी,
इलाज रखते हो तुम...?

4007
चाँद भी झाँकता हैं,
अब खिड़कीयोंसे...
मेरी तन्हाईओका चर्चा,
आसमानोमें हैं.......!

4008
फिर कहीं दूरसे एक बार सदा दो मुझको,
मेरी तन्हाईका एहसास दिला दो मुझको, 
तुम तो चाँद हो तुम्हें मेरी ज़रुरत क्या हैं,
मैं दिया हूँ किसी चौखटपें जला दो मुझको।

4009
तन्हाई सौ गुना,
बेहतर हैं...
झुठे वादाेंसे,
झुठे लोगोंसे...!

4010
                        "मोहब्बत"
तुम क्या जानो मोहब्बतके "म" का मतलब,
मिल जाए तो 'मज़ा' ना मिले तो 'मौत' l

तुम क्या जानो मोहब्बतके "ह" का मतलब,
मिल जाये तो 'हुकूमत' ना मिले तो 'हसरत' l

तुम क्या जानो मोहब्बतके "ब" का मतलब,
मिल जाये तो 'बहादुरी' ना मिले तो 'बला' l

तुम क्या जानो मोहब्बतके "त" का मतलब,
मिल जाये तो 'तख्तो ताज' ना मिले तो 'तन्हाई' ll

17 March 2019

4001 - 4005 जिंदगी ज़ुल्फे आँखे हसीन मौका शोर दर्द गहरा याद मोहब्बत एहसास तन्हाई शायरी


4001
किसीने पूछा कौन याद आता हैं,
अक्सर तन्हाईमें...
मैने कहां, कुछ पुराने रास्ते, खुली ज़ुल्फे,
और बस दो आँखे...!

4002
कौन कहता हैं की,
तन्हाईयाँ अच्छी नहीं होती...
बड़ा हसीन मौका देती हैं ये,
ख़ुदसे मिलनेका.......!

4003
रंगीनियाँ जिंदगीकी,
तन्हाई भरी काली रातोंसे हैं...
दिनकी आबो हवा,
तुम्हारे नामका शोर मचाती हैं...!

4004
"हाथसे नापता हूँ,
दर्दकी गहराईको...
यह नया खेल मिला हैं,
मेरी तन्हाईको.......!"

4005
किसीको बार-बार,
एहसास दिलाना पड़े...
ऐसी मोहब्बतसे तो,
तन्हाई ही अच्छी.......

3996 - 4000 मोहब्बत कद्र दिल्लगी घायल फ़साना जज़्बात महफिल लफ़्ज अलफ़ाज़ तन्हाई शायरी


3996
हमारी कद्र उनको होगी,
तन्हाईयोमें एक दिन...
अभी तो बहुत लोग हैं उनके पास,
दिल्लगी करनेके लिये...!

3997
ना कोई फ़साना हैं,
ना कोई जज़्बात;
मेरी तन्हाई और कुछ...
अनकहे अलफ़ाज़.......

3998
बिखरे अरमान भीगी पलकें,
और ये तन्हाई...
कहूँ कैसे कि मिला मोहब्बतमें,
कुछ भी नहीं.......।

3999
अजबसे वो दिन थे,
अजबसी वो रातें;
तन्हाईमें तन्हाईसे,
तन्हाईकी बातें.......।

4000
लफ़्जोकी दहलीजपर,
घायल जुबान हैं...
कोई तन्हाईसे,
तो कोई महफिलसे परेशान हैं...!

16 March 2019

3991 - 3995 मुस्कुराहट खुश समझ जमीर गम लफ़्ज दिलोजान खबर मीठा आजकल शायरी


3991
बस वो मुस्कुराहट ही,
कहीं खो गई हैं...
बाकी तो मैं भी,
बहुत खुश हूँ आजकल...!

3992
आजकल समझकी,
बड़ी नासमझ हैं;
तभी तो अपने पराये,
पलमें हो जाते हैं...

3993
हर रोज आजकल,
मैं सरेआम बिकता हूँ...
मैं जमीर हूँ साहब,
आजकल कहाँ टिकता हूँ...

3994
खुशियाँ तो आजकल,
बोतलोंमें बंद हो गयी हैं...
गम जब बढ़ जाता हैं,
तो खरीद लाते हैं...।

3995
गुनगुनाते हैं हम लफ़्ज आपके आजकल,
चाहते हैं दिलोजानसे आपको आजकल;
इतना सून लो आप बेखबर,
आपके बिना कुछ मीठा हीं आजकल

14 March 2019

3986 - 3990 मोहब्बत दीवाना पाबंद वक्त आवारगी तंग बात अलफ़ाज़ राज फतेह गुरुर आजकल शायरी


3986
रात तो पाबंद हैं,
वक्तपर लौट जाती हैं...
नींदे आवारगी करती फिरती हैं,
आजकल.......!

3987
तंग नहीं करते हैं हम,
उन्हें आजकल...
ये बात भी,
उन्हें बहुत तंग करती हैं...!

3988
छुपाने लगा हूँ आजकल,
कुछ राज अपने आपसे;
सुना हैं कुछ लोग मुझको,
मुझसे ज्यादा जानने लगे हैं।

3989
आजकल अलफ़ाज़ नही मिलते,
लिखनेको...
मोहब्बतने हमे फिर,
दीवाना बना दिया.......!

3990
अपनी हर फतेहपर,
इतना गुरुर मत कर;
मिट्टीसे पूछ आजकल,
सिकंदर कहाँ हैं.......!