5 October 2019

4831 - 4835 जिन्दगी जश्न खुशियाँ उम्र शौक रिश्ते बात आँख खयाल अंजाम शायरी


4831
हैं होश जब तक जिन्दगीमें,
जश्न होना चाहिए...
खुशियाँ बन जायें राधिका, 
मन कृष्ण होना चाहिए...!

4832
उम्रको हराना हो तो,
शौक सदा ज़िंदा रखिए...
घुटने चलें ना चलें,
मन उड़ता परिंदा रखिए...!

4833
रिश्ते मनसे बनते हैं बातोंसे नहीं,
कुछ लोग बहुतसी बातोंके बाद भी,
अपने नहीं होते...
और कुछ शांत रहकर भी अपने बन जाते हैं...!


4834
बात जूबाँपर लानेसे पहले, 
हमारी आँखोंसे बयाँ होती हैं...
मनकी कानोंसे इसे आप सुने,
तो कोई बात हो.......!
भाग्यश्री

4835
तुम इस कदर मेरे,
खयालोंका खयाल रख रहे हो...
मानो खयाल मेरे मनमे उभरनेसे पहले ही,
उसे अंजाम दे रहे हो.......!
                                                          भाग्यश्री

4 October 2019

4826 - 4830 जिन्दगी शुक्रिया ख्वाहिश तस्वीर अनजान रंग तकदीर अंजुमन लब शायरी


4826
शुक्रिया कैसे कहेने आपको,
जो बात कही आपने...
सच लगने लगी मनको...!

4827
मन ख्वाहिशोंमें अटका रहा,
और ज़िन्दगी हमे जी कर चली गयी...!

4828
तुमसे बातें करनेका मन हैं,
लेकिन करनेको कोई भी बात नहीं हैं...!

4829
जिन्दगी तस्वीर भी हैं और तक़दीर भी
फर्क तो सिर्फ रंगोंका होता हैं,
मनचाहे रंगोंसे बने तो तस्वीर,
और अनजाने रंगोंसे बने तो तकदीर...!

4830
हर शख्श खफा मुझसे,
अंजुमनमें था...
क्योंकि मेरे लबपर वही था,
जो मेरे मनमें था...!

3 October 2019

4821 - 4825 जिन्दगी इज़हार इकरार मोहब्बतें शिकायत उम्र किताब दामन गुरूर दौर शायरी


4821
इज़हारसे इकरारके दरमियानही,
लुत्फ़ देती हैं मोहब्बतें...
बाद कुबुलियतके शिकवो शिकायतोंका,
दौर हुआ करता हैं.......

4822
चंद पन्ने क्या फटे,
ज़िन्दगीकी किताबके साहिब...
कुछ लोगोंने समझा,
हमारा दौर ही ख़त्म हो गया.......

4823
चाहे जिधरसे गुज़रिये,
मीठीसी हलचल मचा दिजिये;
उम्रका हर एक दौर मज़ेदार हैं,
अपनी उम्रका मज़ा लिजिये...!

4824
"मंज़र" धुंधला हो सकता हैं, 
"मंज़िल" नहीं...
"दौर" बुरा हो सकता हैं,
"ज़िंदगी" नहीं.......!

4825
साफ़ दामनका दौर तो,
कबका खत्म हुआ साहब...
अब तो लोग अपने धब्बोंपर,
गुरूर करने लगे हैं.......

2 October 2019

4816 - 4820 सिलसिले उमीद फ़ासले कोशिश फुरसत उड़ान समय महसूस क़रीब शायरी


4816
एक सिलसिलेकी उमीद थी जिनसे,
वही फ़ासले बनाते गये...
हम तो पास आनेकी कोशिशमें थे,
जाने क्यूँ वो दूरियाँ बढ़ाते गये...

4817
तुम्हे कहाँ फुरसत थी,
मेरे पास आनेकी फराज...
हमने तो बहुत इत्तला की,
अपने गुज़र जानेकी...

4818
जिन्हे आना हैं वो खुद,
लौट आयेंगे तेरे पास...
बुलाने पर तो परिंदे भी,
गुरुर करते हैं अपनी उड़ान पर...!

4719
वो भी क्या दिन थे,
जब घड़ी एकादके पास होती थी...
और समय सबके पास.......!

4820
रेलमें खिड़कीके पास बैठके,
हर दफ़ा महसूस हुआ हैं...
जो जितना ज्यादा क़रीब हैं,
वो तेजीसे दूर जा रहा हैं.......

4811 - 4815 चेहरा गम रंग बातें यादें रिश्ता मोहब्बत फुरसत दुरियाँ करीब पास शायरी


4811
तेरा चेहरा, तेरी बातें,
तेरा गम, तेरी यादें...
इतनी दौलत,
पहले कहाँ थी पास मेरे...!

4812
दुरियाँ खलती हैं मुझे,
इतने करीब रिश्तोंमें;
कि भी जाओ मेरे पास,
यु ना मोहब्बत दो मुझे किश्तोमें...!

4813
तुम्हारे पास तो फिर भी तुम हो...!
मेरे पास तो मैं भी नही.......!!!

4814
नस नसमें हैं तू,
बस मेरे पास नही हैं तू...

4815
सुनो... फुरसत मिले तो,
चले आओ मेरे पास...
देखो रंगमें रंगनेका,
दिन भी गया.......!

1 October 2019

4806 - 4810 ज़िन्दगी खुदगर्ज गुनाह मोहब्बत ऐतबार एहसान फ़ना महफूज़ कबूल शायरी


4806
ज़िन्दगी कभी भी ले सकती हैं करवट,
तू गुमां कर...
बुलंदियाँ छू हजार मगर...
उसके लिए कोई 'गुनाह'  कर...!

4807
इतनी मोहब्बत ना सीखा खुदा...
तुझसे ज्यादा उसपर ऐतबार हो जाये;
दिल तोड़कर जाये वो मेरा...
और तू गुनाहगार हो जाये.......

4808
ख़ुदाकी मोहब्बतको फ़ना कौन करेगा,
सभी बन्दे नेक हों तो गुनाह कौन करेगा...
ख़ुदा मेरे दोस्तोंको सलामत रखना,
वरना मेरी सलामतीकी दुआ कौन करेगा...
और रखना मेरे दुश्मनोंको भी महफूज़,
वरना मेरी तेरे पास आनेकी दुआ कौन करेगा...!

4809
हर गुनाह,
कबूल है हमें...
बस सजा देने वाला,
बेगुनाह हो.......!

4810
खुदगर्जकी बस्तीमें,
एहसान भी एक गुनाह हैं...
जिसे तैरना सिखाया,
वही डुबानेको तैयार रहता हैं...

30 September 2019

4801 - 4805 इश्क़ ख़्वाहिश ज़िंदगी मोहब्बत गुनाह ख्याल सफ़र बेहिसाब शायरी


4801
गुनाहे इश्क़में,
इक वो दौर भी बहुत खास रहा...
मेरा ना होकर भी,
तू मेरे बहुत पास रहा...!

4802
लिखनेको तो हम, 
आधा इश्क़ लिख दे...
क्यों कि,
तुम बिन पूरा संभव ही नहीं हैं...

4803
किसीके इश्क़का,
ख्याल थे हम भी...
बड़े दिनोंतक बहुत,
अमीर थे हम भी...!

4804
तलब कहूँ,
ख़्वाहिश कहूँ, 
या कहूँ इश्क़...
तुम्हें जो भी हैं,
‘तुमसे तुम’ तक का,
ये सफ़र ज़िंदगी है मेरी...!

4805
पहले इश्क़को आग होने दीजिए...
फिर दिलको राख होने दीजिए...
तब जाकर पकेगी बेपनाह मोहब्बत...
जो भी हो रहा हैं बेहिसाब होने दीजिए...
सजाएं मुकर्रर करना इत्मिनानसे...
मगर पहले कोई गुनाह तो होने दीजिए...!

29 September 2019

4796 - 4800 इश्क़ पनाह लब आँख नज़रें नशा नजरअंदाज सजा शायरी


4796
इश्क़के चाँदको,
अपनी पनाहमें रहने दो... 
आज लबोंको ना खोलो,
बस आँखोंको कहने दो...!

4797
नज़रें बचाके सबसे,
जब जब आप सँवरने लगे...!
आईना भी जान गया,
आप भी इश्क़ करने लगे...!!!

4798
इश्क़से नशीला,
कोई नशा नहीं है जनाब... 
घूँट-घूँट-पीते हैं और,
कतरा कतरा मरते हैं.......

4799
सुनो ना.......
तन्हा क्या इश्क़ करोगे...?
आओ,
थोड़ा थोड़ा मिलकर कर लेते हैं...!

4800
ये तेरी हल्की सी नजरअंदाजी,
और थोड़ासा इश्क़...
ये तो बता,
ये मजा--इश्क़ है या सजा--इश्क़...

27 September 2019

4791 - 4795 दिल जहाँ बेवफ़ाई ग़म आफ़त रंग मोहब्बत इश्क़ शायरी


4791
चलते थे इस जहाँमें कभी,
सीना तानके हम...
ये कम्बख्त इश्क़ क्या हुआ,
घुटनोपे गए हम.......

4792
ज़िंदा हैं तो बस,
तेरे इश्क़के रहमो करम पर...
मर गए तो समझ लेना,
तेरी बेवफ़ाईमें दम था...!

4793
इश्क होनेके, 
सिर्फ दो तरीके थे...
या दिल बना होता, 
या वो बने होते...!

4794
इक इश्क़का ग़म आफ़त,
और उसपे ये दिल आफ़त...
या ग़म ना दिया होता,
या दिल ना दिया होता...!

4795
रंग देंगे तुझे, अपनी...
मोहब्बतके रंगमें होलीपर...
ये जो इश्क़का महीना,
बीत गया तो क्या हुआ...!