16 April 2020

5726 - 5730 रंग नफरत दफ़न लहर दीवार रुबारु बरसात बारिश शायरी


5726
होती हैं मुझपर रोज,
तेरी रहमतोंके रंगोंकी बारिश;
मैं कैसे कह दूँ मेरे मालिक,
दिवाली सालमें एक बार आती हैं...!

5727
शुक्र हैं परिंदोको नही पता,
उनकी सरहद और मजहब क्या हैं...
वरना आसमाँसे रोज,
खूनकी बारिश होती.......

5728
अहम डूब जाए,
मतभेदके किले ढह जाए,
घमंड चूर चूर हो जाए,
गुस्सेके पहाड़ पिघल जाए,
नफरत हमेशा के लिए दफ़न हो जाए;
और हम सब,
मैं से हम हो जाए.......

5729
कच्ची दीवारोंको,
पानीकी लहर काट गई...
पहली बारिश ही ने,
बरसातकी ढाया हैं मुझे...
ज़ुबैर रिज़वी

5730
वो मेरे रुबारु आया भी,
तो बरसातके मौसममें...
मेरे आँसू बह रहे थे और,
वो बरसात समझ बैठा...

14 April 2020

5721 - 5725 इत्र दुआ मजबूरी फितरत खत्म माटी बूंदे बारिश शायरी


5721
छत टपकती हैं,
उसके कच्चे घरकी...
वो किसान फिरभी,
बारिशकी दुआ करता हैं...!

5722
सारे इत्रोंकी खुशबू,
आज मन्द पड़ गयी;
मिट्टीपें बारिशकी,
बूंदे जो चन्द पड़ गयी ll

5723
घटाएं लगीं हैं आँसमांपें,
दिन सुहाने हैं...
हमारी मजबूरी हमें,
बारिशमें भी काग़ज़ कमाने हैं...

5724
फितरत तो कुछ यूँ भी हैं,
इंसानकी साहब...
बारिश खत्म हो जाये तो,
छतरी बोझ लगती हैं.......

5725
आज सब इत्रोंका दाम,
गिर गये हैं,
माटीको बारिशकी,
पहली बूंदोंने जो चूमा हैं...!

5716 - 5720 ख्वाब आँखे शब बात पैग़ाम बरस बारिश शायरी


5716
एक ख्वाबने आँखे खोली थी,
क्या मोड आया था कहानीमें;
मैं भीग रहा थी बारिशमें,
और आग लगी थी पानीमें ll

5717
मैं चुप कराता हूँ,
हर शब उमडती बारिशको...
मगर ये रोज़,
गई बात छेड़ देती हैं...
गुलज़ार

5718
उसको आना था कि,
वो मुझको बुलाता था कहीं...
रात भर बारिश थी,
उसका रात भर पैग़ाम था...
                          ज़फ़र इक़बाल

5719
मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ,
पहली बारिश ही आख़िरी हैं मुझे...
तहज़ीब हाफ़ी

5720
बरस रही थी बारिश बाहर,
और वो भीग रहा था मुझमें...!
                             नज़ीर क़ैसर

13 April 2020

5711 - 5715 रंग दीवार ख्वाहिश परेशानी आग तमाम तन्हाई बारिश शायरी


5711
उसने बारिशमें भी,
खिड़की खोलके देखा नहीं...
भीगने वालोंको कल,
क्या क्या परेशानी हुई...
                       जमाल एहसानी

5712
शायद कोई ख्वाहिश,
रोती रहती हैं...
मेरे अन्दर,
बारिश होती रहती हैं...
अहमद फ़राज़

5713
साथ बारिशमें लिए फिरते हो,
उस को 'अंजुम',
तुमने इस शहरमें,
क्या आग लगानी हैं कोई...
                               अंजुम सलीमी

5714
तमाम रात नहाया था,
शहर बारिशमें...
वो रंग उतर ही गए,
जो उतरने वाले थे.......
जमाल एहसानी

5715
दर-ओ-दीवारपें,
शक्लें सी बनाने आई...
फिर ये बारिश,
मिरी तन्हाई चुराने आई...
                        कैफ़ भोपाली

10 April 2020

5706 - 5710 नसीब तासीर यार तक़दीर ख्वाहिशें चाहत हथेलियाँ पसंद बूंद बरस बारिश शायरी


5706
बारिशकी तरह हैं,
तासीर उसकी यारों...
मिलने भी आती हैं,
और रुकती भी नहीं...

5707
मैं तेरे नसीबकी बारिश नहीं,
जो तुझपें बरस जाऊं;
तुझे तक़दीर बदलनी होगी,
मुझे पानेके लिए ll

5708
कुछ ख्वाहिशें बारिशके,
उन बूंदोंकी तरह होती हैं l
जिन्हें पानेकी चाहतमें,
हथेलियाँ तो भींग जाती हैं l
मगर हाथ हमेशा,
खाली रहतें हैं ll

5709
तुमको बारिश पसंद हैं,
मुझे बारिशमें तुम l
तुमको हँसना पसंद हैं,
मुझे हस्ती हुए तुम 
तुमको बोलना पसंद हैं,
मुझे बोलते हुए तुम 
तुमको सब कुछ पसंद हैं,
और मुझे बस तुम ।।

5710
ज़रा ठहरो बारिश हैं,
यह थम जाए तो फिर जाना...
किसीका तुझको छु लेना,
मुझे अच्छ नहीं लगता.......!

9 April 2020

5701 - 5705 हुस्न बादल ख्याल याद ग़ज़ब प्यारी बात तासीर मजा आसमाँ बारिश शायरी


5701
पेडोंकी तरह,
हुस्नकी बारिशमें नहा लूँ...
बादलकी तरह तुम,
झूमके घिर आओ किसी दिन...!

5702
कहीं फिसल जाऊं,
तेरे ख्यालोंमें चलते चलते...
अपनी यादोंको रोको,
मेरे शहरमें बारिश हो रही हैं...!

5703
हुनर क्या ग़ज़बका था,
उसकी प्यारी बातोंमें...
उसने काग़ज़ पर बारिश लिखा,
और हम यहाँ भीग गए.......!

5704
बारिशसे ज्यादा,
तासीर हैं तेरे यादोंकी...
हम अक्सर बंद कमरोंमें,
भीग जाते हैं.......!

5705
मैंने अपना ग़म,
आसमाँको सुना दिया...
शहरके लोगोंने,
बारिशका मजा लिया.......

8 April 2020

5696 - 5700 प्यार जिन्दगी जमाने जला खत इश्क़ इंतेहा याद परेशानी सलाह गम किस्मत शायरी


5696
ज़्यादा कुछ नहीं,
बस तेरा साथ चाहिए...
जमानेको जलाने के लिए,
बस इतना ही काफ़ी हैं.......!

5697
हो गए पन्ने अब पिले,
तुम्हारे गुलाबी खतोंके;
लिफाफेका खाली कागजतक इश्क़का,
यादोंके साथ तन्हा होने नही देता...
राहुलसा

5698
परेशानीमें कोई सलाह मांगे,
तो सलाहके साथ अपना साथ भी देना l
क्योकि सलाह गलत हो सकती हैं,
साथ नहीं.......ll

5699
रूठे जो जिन्दगी तो मना लेगे हम,
मिले जो गम तो निभा लेगे हम,
बस तुम साथ रहना मेरे,
रोती आंखोंसे भी मुस्कुरा लेगें हम...

5700
प्यार करने वालोंकी किस्मत खराब होती हैं,
हर वक़्त इंतेहाकी घड़ी साथ होती हैं l
वक़्त मिले तो रिश्तोंकी किताब खोलके देख लेना,
यारी हर रिश्तेसे लाजवाब होती हैं ll

7 April 2020

5691 - 5695 प्यार मंजिल मोहब्बत जिंदगी खुश खुशिया गम फितरत तबियत कफ़न साथ शायरी


5691
जिंदगी एक बारही सही,
लेकिन ऐसे शख्ससे जरूर मिलवाती हैं;
जिसके साथ हम अपना,
सबकुछ बाँटना चाहते हैं...!

5692
जब कोई हाथ और साथ,
दोनों ही छोड़ देता हैं...
तब खुदा कोई कोई,
उंगली पकड़नेवाला भेजही देता हैं...!

5693
उन लोगोके साथ गुजारा हो सकता हैं,
जिनकी तबियत ख़राब हो l
उनके साथ नहीं गुजारा जा सकता,
जिनकी फितरत ख़राब हो...ll

5694
दुनिया बहुत मतलबी हैं,
साथ कोई क्यों देगा ?
मुफ्तका यहाँ कफ़न नहीं मिलता,
तो बिना गमके प्यार कौन देगा...?

5695
साथ दो हमारा जीना हम सिखायेंगे,
मंजिल तुम पाओ रास्ता हम बनायेंगे,
खुश तुम रहो खुशिया हम दिलायेंगे,
तुम बस प्यार बने रहो मोहब्बत हम निभायेंगे !!!

6 April 2020

5686 - 5690 दिल किस्मत मोहब्बत मौजुदगी बेफिक्र सुकून जुनून पल जुस्तजू एहसास साथ शायरी


5686
कल रातकी तरह आजकी रात भी,
गुजर रहीं हैं सूनीसूनी...
पता नहीं किस्मतमें मेरी,
और कितनी राते लिखी हैं खालीखाली...
                                                  भाग्यश्री

5687
तू कलकी तरह,
आज नहीं साथ मेरे,
तो क्या हुआ...?
कैसे बताऊँ तुझे कि,
मोहब्बत तो हम तेरी...
दुरीयोंसे भी करते हैं ll

5688
साथ आपका,
बेफिक्र जीनेका सुकून...
नामौजुदगी आपकी,
सिर्फ और सिर्फ आपके फिक्रका जुनून...
                                                    भाग्यश्री

5689
हर पल तेरा साथ पाऊँ,
इतनी खुशगवार मैं नहीं;
तेरी जुस्तजूसे थक गयी मैं,
क्योंकि खोया हैं तू और कहीं ll
भाग्यश्री

5690
ना हम तेरा साथ माँगते हैं,
ना तुझसे कोई आस रखते हैं...
अब तेरा एहसास ही काफी हैं,
जो दिलको मेरे बहलता हैं...!
                                   भाग्यश्री

5681 - 5685 लकीरें मोहब्बत वक़्त खामोश खुशी खुशबू ख्वाब मंजिल साथ शायरी


5681
लकीरें तो हमारी भी,
बहुत ख़ास हैं...!
तभी तो आप जैसे,
लोग हमारे साथ हैं...!!!

5682
सच्ची मोहब्बत कभी,
खत्म नहीं होती...
बस वक़्तके साथ,
खामोश हो जाती हैं.......

5683
कभी पसंद ना आए साथ हमारा,
तो बयां कर देना;
तुम्हारी खुशी मायने रखती हैं,
हमारा साथ नहीं.......!

5684
बड़ी ही हसीन शाम थी,
वो उनके साथकी,
अब तक खुशबू नहीं गई,
उनके हाथकी...!

5685
ख्वाब मंजिलके,
मत दिखाओ मुझको...
तुम कहाँ तक साथ आओगे...?
ये बताओ मुझको...