6 April 2020

5681 - 5685 लकीरें मोहब्बत वक़्त खामोश खुशी खुशबू ख्वाब मंजिल साथ शायरी


5681
लकीरें तो हमारी भी,
बहुत ख़ास हैं...!
तभी तो आप जैसे,
लोग हमारे साथ हैं...!!!

5682
सच्ची मोहब्बत कभी,
खत्म नहीं होती...
बस वक़्तके साथ,
खामोश हो जाती हैं.......

5683
कभी पसंद ना आए साथ हमारा,
तो बयां कर देना;
तुम्हारी खुशी मायने रखती हैं,
हमारा साथ नहीं.......!

5684
बड़ी ही हसीन शाम थी,
वो उनके साथकी,
अब तक खुशबू नहीं गई,
उनके हाथकी...!

5685
ख्वाब मंजिलके,
मत दिखाओ मुझको...
तुम कहाँ तक साथ आओगे...?
ये बताओ मुझको...

No comments:

Post a Comment