5741
इक नज़रका,
फ़साना हैं दुनिया...
सौ कहानी हैं,
इक कहानीसे.......!
नुशूर वाहिदी
5742
ख़ामोश सही मरकज़ी,
किरदार तो हम
थे;
फिर कैसे भला,
तेरी कहानीसे निकलते ?
सलीम कौसर
5743
आपकी मेरी,
कहानी एक हैं...
कहिए अब मैं,
क्या सुनाऊँ, क्या सुनूँ...
मैकश अकबराबादी
5744
सभी किरदार,
थककर सो गए
हैं l
मगर अब तक,
कहानी चल रही हैं ll
ख़ावर जीलानी
5745
हर कहानी,
मिरी कहानी थी...
जी न बहला,
किसी कहानीसे...!
साक़ी अमरोहवी
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