19 April 2020

5741 - 5745 नज़र ख़ामोश फ़साना हैं दुनिया किरदार कहानी शायरी



5741
इक नज़रका,
फ़साना हैं दुनिया...
सौ कहानी हैं,
इक कहानीसे.......!
                नुशूर वाहिदी

5742
ख़ामोश सही मरकज़ी,
किरदार तो हम थे;
फिर कैसे भला,
तेरी कहानीसे निकलते ?
सलीम कौसर

5743
आपकी मेरी,
कहानी एक हैं...
कहिए अब मैं,
क्या सुनाऊँ, क्या सुनूँ...
          मैकश अकबराबादी

5744
सभी किरदार,
थककर सो गए हैं l
मगर अब तक,
कहानी चल रही हैं ll
ख़ावर जीलानी

5745
हर कहानी,
मिरी कहानी थी...
जी बहला,
किसी कहानीसे...!
         साक़ी अमरोहवी

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