5771
दिल-ए-नादाँ,
तुझे हुआ क्या
हैं...
आख़िर इस दर्दकी,
दवा क्या हैं.......
मिर्ज़ा ग़ालिब
5772
ग़म-ए-दिल
अब,
किसीके बसका नहीं;
क्या दवा, क्या
दुआ,
करे कोई.......
हादी मछलीशहरी
5773
इश्क़को
दीजिए,
जुनूँमें
फ़रोग़...
दर्दसे दर्दकी,
दवा कीजिए...
जिगर बरेलवी
5774
जानता उसको हूँ,
दवाकी तरह...
चाहता उसको हूँ,
शिफ़ा की तरह...!
हक़ीर
5775
मेरे दुखकी,
दवा भी रखता
हैं...
ख़ुदको मुझसे,
जुदा भी रखता
हैं...!
विशाल खुल्लर
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