23 April 2020

5756 - 5760 प्यार वफ़ा तलाश बेवफा हस्ती खबर दीदार जिक्र तकाजा नादान शायरी



5756
मैं नादान था जो वफ़ाको,
तलाश करता रहा ग़ालिब...
यह सोचा के एक दिन,
अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी...!

5757
संभलकर चल नादान,
ये इंसानोकी बस्ती हैं...
ये रबको भी आजमा लेते हैं,
तेरी क्या हस्ती हैं.......

5758
नादान आईनेको,
क्या खबर...
कि एक चेहरा,
चेहरेके अन्दर भी होता हैं...!

5759
तेरा दीदार तेरा जिक्र,
तुझसे प्यार भरी बातें...
तकाजा ये दिल--नादानका,
सुबह शाम यही रहता हैं.......!

5760
कभी वो मुझे अपना,
तो कभी गैर कहते गये l
देखो मेरी नादानी,
हम सिर्फ उन्हें अपना कहते गये ll

No comments:

Post a Comment