28 April 2020

5791 - 5795 ज़िन्दगी दुआ दामन सज़दा कुबूल शायरी



5791
बेअसर कहाँ होती हैं,
दुआ कोई भी...
या तेरी कुबूल होगी !
या मेरी कुबूल होगी !!!

5792
मैं तेरी ज़िन्दगीसे चला जाऊँ,
ये तेरी दुआ थी...
और तेरी हर दुआ कबूल हो,
ये मेरी दुआ थी.......

5793
चाहता तो हूँ कि,
हर सुबह आपको
अनमोल खज़ाना भेजूं;
लेक़िन मेरे दामनमें,
दुआओंके सिवा
कुछ हैं भी तो नहीं...!

5794
सज़दे कीजिये,
या माँगिये दुआयें...
जो आपका हैं ही नहीं,
वो आपका होगा भी नहीं...

5795
तुम्हारी दुनियासे जानेके बाद,
हम एक तारेमें नजर आया करेंगे l
तुम हर पल कोई दुआ मांग लेना,
और हम हर पल टूट जाया करेंगे...ll

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