30 April 2020

5801 - 5805 दुआ बरक्कतें नसीहतें हिदायतें मतलब जरूरत असर गर्दिश तबाही मजबूर शायरी



5801
अब कहाँ दुआओंमें वो बरक्कतें,
वो नसीहतें वो हिदायतें...
अब तो बस जरूरतों का जलूस हैं,
मतलबोंके सलाम हैं.......

5802
अपने ही अपनोंसे करते हैं,
अपनेपन की अभिलाषा...
पर अपनोंने ही बदल रखी हैं,
अपनेपनकी परिभाषा.......

5803
तेरी दुआओंमें असर हो तो,
मस्जिदको हिलाके दिखा !
नहीं तो दो घूँट पी और,
मस्जिदको हिलता देख !!!

5804
गर्दिश तो चाहती हैं,
तबाही मेरी मगर;
मजबूर हैं किसीकी,
दुआओंके सामने...

5805
अगर चाहते हो,
की खुदा मिले...!
तो वही करो,
जिससे दुआ मिले...!!!

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