10 April 2020

5706 - 5710 नसीब तासीर यार तक़दीर ख्वाहिशें चाहत हथेलियाँ पसंद बूंद बरस बारिश शायरी


5706
बारिशकी तरह हैं,
तासीर उसकी यारों...
मिलने भी आती हैं,
और रुकती भी नहीं...

5707
मैं तेरे नसीबकी बारिश नहीं,
जो तुझपें बरस जाऊं;
तुझे तक़दीर बदलनी होगी,
मुझे पानेके लिए ll

5708
कुछ ख्वाहिशें बारिशके,
उन बूंदोंकी तरह होती हैं l
जिन्हें पानेकी चाहतमें,
हथेलियाँ तो भींग जाती हैं l
मगर हाथ हमेशा,
खाली रहतें हैं ll

5709
तुमको बारिश पसंद हैं,
मुझे बारिशमें तुम l
तुमको हँसना पसंद हैं,
मुझे हस्ती हुए तुम 
तुमको बोलना पसंद हैं,
मुझे बोलते हुए तुम 
तुमको सब कुछ पसंद हैं,
और मुझे बस तुम ।।

5710
ज़रा ठहरो बारिश हैं,
यह थम जाए तो फिर जाना...
किसीका तुझको छु लेना,
मुझे अच्छ नहीं लगता.......!

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