5706
बारिशकी
तरह हैं,
तासीर उसकी यारों...
मिलने भी आती
हैं,
और रुकती भी नहीं...
5707
मैं तेरे नसीबकी
बारिश नहीं,
जो तुझपें बरस जाऊं;
तुझे तक़दीर बदलनी होगी,
मुझे पानेके लिए ll
5708
कुछ ख्वाहिशें बारिशके,
उन बूंदोंकी तरह
होती हैं l
जिन्हें
पानेकी चाहतमें,
हथेलियाँ
तो भींग जाती
हैं l
मगर हाथ हमेशा,
खाली रहतें हैं ll
5709
तुमको बारिश पसंद हैं,
मुझे बारिशमें तुम l
तुमको हँसना पसंद हैं,
मुझे हस्ती हुए तुम ।
तुमको बोलना पसंद हैं,
मुझे बोलते हुए तुम ।
तुमको सब कुछ
पसंद हैं,
और मुझे बस
तुम ।।
5710
ज़रा ठहरो बारिश
हैं,
यह थम जाए
तो फिर जाना...
किसीका तुझको छु लेना,
मुझे अच्छ नहीं
लगता.......!
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