29 April 2020

5796 - 5800 प्यार खुशनसीब जलील दवा फ़क़ीर दुआ शायरी



5796
कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया,
और करोड़ोंकी दुआयें दे गया !
पता ही नहीं चला की,
गरीब वो था की मैं !!!

5797
जलील किया करो,
किसी फ़क़ीरको अपनी चोखटसे साहब...
वो सिर्फ भीख लेने नहीं,
दुआ देने भी आता हैं.......!

5798
दुआ मांग लिया कर,
तू दवासे पहले...
कोई नहीं देता शिफ़ा,
ख़ुदासे पहले.......!

5799
कोई हैं जो दुआ करता हैं,
अपनोंमें मुझे भी गिना करता हैं l
बहुत खुशनसीब समझते हैं खुदको हम,
दूर रहकर भी जब कोई प्यार किया करता हैं ll

5800
मेरा मजहब तो,
ये दो हथेलियाँ बताती हैं;
जुड़े तो पूजा,
खुले तो दुआ,
कहलाती हैं.......

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