17 April 2020

5731 - 5735 दिल याद करवट धडकन मुश्किल हौसले मुश्किल मेहमान आँख ख्वाब शायरी



5731
दब गई थी नींद,
कहीं करवटोंके बीच;
दरपर खड़े रहें,
कुछ ख्वाब रात भर !

5732
काश तुम्हें ख्वाब ही जाये,
की हम तुम्हे कितना याद करते हैं...!

5733
शोर ना कर धडकन,
जरा थम जा कुछ पलके लिए...
बडी मुश्किलसे मेरी आँखोंमें,
उसका ख्वाब आया हैं.......!

5734
ख़्वाब टूटे हैं,
मगर हौसले तो ज़िंदा हैं l
हम वो शक्स हैं,
जहाँ मुश्किलें शर्मिंदा हैं ll

5735
दिलमें घर करके बैठे हैं,
ये जो ज़िद्दीसे ख़्वाब...
कागजपें उतार मैं,
वो सारे मेहमान ले आऊँ...!

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