25 March 2017

1137


सौदा कुछ ऐसा किया है
तेरे ख़्वाबों ने मेरी नींदों से,
या तो दोनों आते हैं,
या कोई नहीं आता।

1136


घड़ी की फितरत भी अजीब है,
हमेशा टिक-टिक कहती है,
मगर...,
ना खुद टिकती है और
ना दूसरों को टिकने देती है !

24 March 2017

1135


कहा हम तो...
"गम" चाहते है,    
ख़ुशी उन्हे दे दो,
जिन्हें "हम" चाहते हे...!

1134


एक धोखा खुद को दे देता हूँ,
बगैर उनके मुस्कुरा जो लेता हूँ…

1133


"चलो दिल कि
अदला-बदली कर लेते है...
तड़प क्या होती है,
ये तुम भी समझ जाओगे."

1132


फिर यूँ हुआ कि
सब्र की उँगली पकड़ कर हम
इतना चले कि
रास्ते हैरान हो गए…. . . .

1131


यूँ तो अकेला भी अक्सर,
गिर के संभल सकता हूँ मैं...
तुम जो पकड़ लो हाथ मेरा,
दुनिया बदल सकता हूँ मैं.......

23 March 2017

1130


अधिकतर खामोशसा रहता हूँ !
मुझमे बोलती रहती हैं यादें उनकी !!

1129


हँसते हुए लोगों की संगत
इत्र की दुकान जैसे होती है,
कुछ ना खरीदो फिर भी...
रूह महका देते हैं।

1128


हम उनके जैसे मतलबी और
धोखे बाज़ नहीं है,
जो की चाहने वालो को धोखा दे,
बस वो ये समझ ले,
की हमें समझना,
हर किसी के बस की बात नहीं.....

1127


इश्क भी अजीब होता है।
अपनोको खोकर मीलता है।
फिर भी इश्क मे ही इन्सान जिता है।
तभी तो उसे इश्क कहते है।
इश्क इश्क है
ये इश्क इश्क ये इश्क इश्क है इश्क ।

1126


वाकीफ तो हम भी हैं,
मशहूर होने के तौर तरीकों से
पर जिद तो,
अपने अंदाज से जीने की है

22 March 2017

1125


हमारा अदांज ही कुछ ऐसा हैँ कि...
हम बोलते है,
तो बरस जाते हैँ !
और
खामोश रहते हैँ,
तो लोग तरस जाते है ...!!!

1124


ना तंग करो इतना, हम सताऐ हुऐ हैं,
मुहोब्बत का गम दिल पे उठाऐ हुऐ हैं,
खिलौना समझ कर हम से ना खेलो,
हम भी उसी खुदा के बनाऐ हुऐ हैं ||

1123


"तेरी आँखों के जादू से,
तू ख़ुद नहीं है वाक़िफ़ ,
यह उसे भी जीना सिखा दे,
जिसे मरने का शौक़ हो"

1122


किताबों में कहते हैं फूल तोडना मना है,
बागों में कहते हैं फूल तोड़ना मना है,
फूलों से कीमती चीज़ है दिल,
कोई नहीं कहता दिल तोड़ना मना है !

1121


तुम आए थे,
पता लगा,
सुन कर अच्छा भी लगा,
पर गैरों से पता चला,
बेहद बुरा लगा !!

21 March 2017

1120


जिन की ऑखें बात बात में
भीग जाती है,
वो कमजोर नहीं...
दिल से सच्चे होते हैं…!

1119


उम्र बर्बाद कर दी हमने,
औरों में नुक़्स निकालते निकालते.......
इतना कभी खुद को तराशते तो,
कब के खुदा तो हो गए होते.......।

1118


इतने बरसों का सफर,
यूँ ही ख़ाक हुआ...
जब उन्होंने कहा
“कहो...कैसे आना हुआ ?”