9 June 2018

2856 - 2860 दिल बात दिन रात किस्मत खुबसुरत अदालत फैसले मंजूर आँख ख़याल ज़माना पत्थर शायरी


2856
आधा बुझा दिन मिलता हैं,
आधी जली रातसे,
और वो कहते हैं की,
क्या खुबसुरतसी शाम हैं

2857
काग़ज़पें तो,
अदालत चलती हैं...
हमने तो तेरी आँखोंके,
फैसले मंजूर किये।

2858
दिलसे पूछो तो,
आज भी तुम मेरे ही हो...
ये ओर बात हैं कि,
किस्मत दग़ा कर गयी।

2859
हँसी यूँ ही नहीं आई,
इस खामोश चेहरेपर...
कई जख्मोंको सीनेमें,
दबाकर रख दिया हैं हमने...

2860
शायद ये ज़माना,
उन्हें भी पूजने लगे,
कुछ लोग इसी ख़यालसे,
पत्थरके होने लगे.......

8 June 2018

2851 - 2855 दिल मोहब्बत मशहूर मदहोश दर्द एहसास दुनियाँ साथ खामोश लफ़्ज़ जज़्बात शायरी


2851
मशहूर हो गया हूँ तो ज़ाहिर हैं दोस्तो,
इलज़ाम सौ तरहके मेरे सर भी आयेंगे;
थोड़ासा अपनी चाल बदलकर चलो,
सीधे चले तो मुमकिन हैं पीठमें खंज़र भी आयेंगे।

2852
इतनी पीता हूँ कि,
मदहोश रहता हूँ,
सब कुछ समझता हूँ...
पर खामोश रहता हूँ,
जो लोग करते हैं,
मुझे गिरानेकी कोशिश...
मैं अक्सर उन्हीके साथ रहता हूँ।

2853
टूटा हो दिल तो दुःख होता हैं,
करके मोहब्बत किसीसे ये दिल रोता हैं,
दर्दका एहसास तो तब होता हैं,
जब किसीसे मोहब्बत हो और...
उसके दिलमें कोई और होता हैं

2854
हाथ थामे रखना,
दुनियाँमें भीड़ भारी हैं...
खों ना जाऊ कहीं मैं,
ये जिम्मेदारी तुम्हारी हैं...!

2855
एहसासोंकी अगर जुबाँ होती,
दुनियाँ फिर खूबसूरत कहाँ होती,
लफ़्ज़ बन जातें हैं पर्दे जज़्बातके,
अजी फिर कैसे ये मोहोब्बत बयाँ होती !

7 June 2018

2846 - 2850 दिल वक्त बेवफाई यकीन फ़िक्र जिक्र खुशी बिखर ज़ुल्फ़ चेहरा याद शायरी


2846
तुमने भी उस वक्त,
बेवफाई की,
जब यकीन,
आखिरी मुकामपर था...

2847
फ़िक्र तो तेरी आज भी हैं,
बस.......
जिक्रका हक नहीं रहा...।

2848
वो कहते हैं हम जी लेंगे,
खुशीसे तुम्हारे बिना;
हमें डर हैं वो टूटकर,
बिखर जायेंगे हमारे बिना...।

2849
चूम लेती हैं लटककर,
कभी चेहरा... कभी लब...
तुमने ज़ुल्फ़ोंको बहुत,
सरपें चढा रखा हैं.......!!!

2850
जबभी तेरी याद आती हैं,
तब मैं अपने दिलपें हाथ रखता हूँ...
मुझे पता हैं,
तू हीं नहीं मिली तो...,
यहाँ ज़रूर मिलेगी.......!

6 June 2018

2841 - 2845 प्यार मोहब्बत विश्वास शिकायत ऐतबार यकीन उम्मीद तड़प इंतज़ार लफ़्ज़ क़िरदार शायरी


2841
शिकायतें वहां होती हैं,
जहां ऐतबार ना हो,
मेरा तो यकीन ही तुम हो,
तो शिकायत कैसी...

2842
प्यार और विश्वासको,
हो सके तो कभी ना खोयें;
क्योंकि प्यार हर किसीसे होता नहीं और
विश्वास हर किसीपें होता नहीं...

2843
ना कोई उम्मीद, ना तड़प,
ना ही इंतज़ार किसीका,
कितना अच्छा होगा वो जहाँ...
जहाँ मोहब्बत नहीं होगी !!!

2844
मेरे लफ़्ज़ोंसे कर,
मेरे क़िरदारका फ़ैसला।
तेरा वज़ूद मिट जायेगा,
मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते।।

2845
फिजाओंसे उलझकर,
एक हसीं यह राज़ जाना हैं !
जिसे कहतें हैं मोहब्बत,
वह नशा ही कातिलाना हैं...!

5 June 2018

2836 - 2840 ज़िन्दगी महोब्बत सपने फ़िज़ूल क़ैद सलाख़े आँख़े दाग शायरी


2836
- खुदा ज़िन्दगीमें फिरसे कोई,
ऐसा मोड़ ना आये l
की शायरी करते करते,
किसीसे फिरसे महोब्बत हो जाये.......ll

2837
अपनोंको दूर होते देखा,
सपनोंको चूर होते देखा;
अरे लोग कहते हैं फ़िज़ूल कभी रोते हीं,
हमने फूलाेंको भी तन्हाईयाेंमें रोते देखा !

2838
क़ैदख़ानें हैं,
बिन सलाख़ोंके...
कुछ यूँ चर्चें हैं,
तुम्हारी आँखोंके.......

2839
टूटे हुए काँचकी तरह,
चकना चूर हो गए...!
किसीको लग ना जायें इसलिए...
सबसे दूर हो गये...!

2840
मुहब्बत थी तो,
चाँद अच्छा था;  
उतर गई तो,
दाग दिखने लगे...!

4 June 2018

2831 - 2835 दिल मोहब्बत धड़कन महबूब तलाश याद बात नाम पत्थर दुनियाँ जज़्बात तन्हा दर्द मुद्दत शहर शायरी


2831
सिर्फ गुलाब देनेसे अगर,
मोहब्बत हो जाती,
तो माली सारेशहर’ का,
महबूब बन जाता.......

2832
ढूंढ तो लेते तुम्हे हम,
शहरमें भीड़ इतनी भी थी,
पर रोक दी तलाश हमने क्यूंकि...
तुम खोये नहीं थे, खोना चाहते थे !

2833
तुझे याद करना करना,
अब मेरे बसमें कहाँ...
दिलको आदत हैं,
हर धड़कनपें तेरा नाम लेनेकी...!

2834
पत्थरकी दुनियाँ जज़्बात हीं समझती,
दिलमें क्या हैं वो बात हीं समझती,
तन्हा तो चाँद भी सितारोंके बीचमें हैं,
पर चाँदका दर्द वो रात हीं समझती...

2835
मुद्दतों बाद लौटे हैं,
तेरे शहरमें,
एक तुझे छोड़...
और तो कुछ बदला नहीं.......!

2826 - 2830 दिल मोहब्बत तराज़ू दिल्लगी अदा नजर वादा खबर पलक ख्बाब चाहत शायरी


2826
रोज इक ताजा शेर,
कहाँसे लिखू तेरे लिए,
तुझमें तो हर रोज ही,
इक नई अदा दिखती हैं !

2827
दिल जीत ले वो जिगर हम भी रखते हैं,
कत्ल कर दे वो नजर हम भी रखते हैं,
वादा किया हैं किसीको हमेशा मुस्कुरानेका,
वरना इन आँखोंमें समंदर हम भी रखते हैं...
2828
मैंने तो बाहोंमें लिया था,
एक म्हेक़े लिए...
क्या खबर थी की,
रग रगमें समा जाओगे यूँ...!

2829
पलक, तू बंद हो जा...
ख्बाबोंमें उसकी सूरत तो नजर आयेगी;
इंतज़ार तो सुबह दोबारा शुरू होगा,
कमसे कम रात तो खुशीसे कट जायेगी...!!!

2830
मत तोल मोहब्बत मेरी,
अपनी दिल्लगीसे,
चाहत देखकर मेरी अक्सर,
तराज़ू टूट जाते हैं.......!

31 May 2018

2821 - 2825 होठ जालिम जिस्म ज़िंदग़ी जनाजा दुनिया शायरी



2821
जमाल यारमे,
रंगोका इम्तियाज तो देख,
सफेद झुठ है,
जालिमके सुर्ख होठोंपर.......

2822
ज़िन्दगीमें ज़िन्दगीसे,
हर चीज़ मिली;
मगर उनके बाद,
फिर ज़िन्दगी मिली...

2823
लेकर आना उसे मेरे जनाजेमे,
एक आखरी हसीन मुलाकात होगी;
मेरे जिस्ममे जान हो मगर,
मेरी जान मेरे जिस्मके पास होगी...!

2824
ज़िंदग़ी ज़ैसे ज़लानी थी,
वैसे ज़ला दी हमने ग़ालिब...
अब धुएँपर बहस क़ैसी और,
राख़पर ऐतराज़ क़ैसा...?


2825
मैं दुनियाके जलनेका,
इंतजाम कर आया,
तू ही इश्क मेरा,
ये खुले आम कह आया...!

30 May 2018

2816 - 2820



2816
चलते चलते मुझसे पूछा,
मेरे पाँव के छालो ने,
बस्ती कितनी दूर बसा ली,
दिल में बसने वालो ने !

2817
मुहब्बत एक दम,
ग़मका एहसास होने नही देती...
ये तितली बैठती है,
ज़ख़्म पर आहिस्ता-आहिस्ता...

2818
शीशे में डूब कर ,
पीते रहे उस जाम  को;
कोशिशे  तो बहूत की मगर,
भूला पाए एक नाम  को.......

2819
मिलने की चाह यूँ है की,
अभी जाये आपसे मिलने...
कम्बख्त ये फासले भी,
बडे अजीब हैं.......

2820
नजरे छुपा कर क्या मिलेगा ?
नजरे मिलाओ शायद हम मिल जाएगे !!!

29 May 2018

2811 - 2815



2811
आए थे हँसते खेलते,
मैख़ाने में 'फ़िराक़';
जब पी चुके शराब,
तो संजीदा हो गए...!

2812
मुझे तो होश नहीं,
आप मशवरा दीजिये...
कहाँ से छेड़ूँ फ़साना,
कहाँ तमाम करूँ.......!

2813
तेरे पासमें बैठना भी इबादत,
तुझे दूर से देखना भी इबादत,
माला,  मंतर,  पूजा,  सजदा,
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत...

2814
अपनी अजमत का नहीं,
खुद तुझे गाफिल एहसास;
बंदगी अपनी जो करता,
तो खुदा हो जाता.......!

2815
तुझमेँ और मुझमेँ,
फर्क है सिर्फ इतना,
तेरा कुछ कुछ हूँ मैँ,
और मेरा सब कुछ है तू...!