11 September 2018

3271 - 3275 दिल इश्क हसरत बात तमन्ना बैचैनी आहट लफ़्ज़ हुकुम आँसु ख्वाब इश्क इंतज़ार शायरी


3271
मत पूछो कैसे गुजरता हैं,
हर पल तुम्हारे बिना;
कभी बात करनेकी हसरत,
कभी देखनेकी तमन्ना रहती हैं

3272
मत पूछो यारो...
ये इश्क केसा होता हैं...
बस जो रुलाता हैं ना,
उसे ही गले लगाकर...
रोनेको जी चाहता हैं...!

3273
इंतज़ार इश्कमें,
बैचैनीका आलम मत पूछो...
हर आहटपर लगता हैं,
वो आये हैं...
वो आये हैं.......

3274
अब हमे इतना भी,
मत पढ़िए हुजुर,
कि हमारे लफ़्ज़ आपके दिलपर,
हुकुमत करने लगे.......

3275
निकलते आँसुओंको देखकर,
सोचती हैं मेरी आँखे,
की और कितना वक़्त लगेगा,
सारे ख्वाबोको बहनेमें.......

9 September 2018

3266 - 3270 ज़िंदगी मोहबत मशगुल अनजान ग़म पैग़ाम वादा वफ़ा साया तबाह सलाम मयखाने शायरी


3266
कोई नहीं देगा साथ तेरा यहां,
हर कोई यहां खुदहीमें मशगुल हैं;
जिंदगीका बस एक ही उसूल हैं यहां,
तुझे गिरना भी खुद हैं और सम्हलना भी खुद हैं...!

3267
बड़ी भूल हुई अनजानेमें,
ग़म छोड़ आये मयखानेमें...
खाकर ठोकर ज़मानेकी,
फिर लौट आये मयखानेमें...
मुझे देखकर मेरे ग़म बोले,
बड़ी देर लगा दी आनेमें.......!

3268
मोहबतको जो निभाते हैं,
उनको मेरा सलाम हैं;
और जो बीच रास्तेमें छोड़ जाते हैं,
उनको, हुमारा ये पैग़ाम हैं;
वादा--वफ़ा करो,
तो फिर खुदको फ़ना करो;
वरना खुदाके लिए किसीकी,
ज़िंदगी ना तबाह करो...

3269
जिसने दी हैं जिंदगी उसका,
साया भी नज़र नहीं आता;
यूँ तो भर जाती हैं झोलियाँ,
मगर देने वाला नज़र नही आता !

3270
क्या कहें ... कैसे कहें ... किसको कहें...
बस्...चल रही हैं जिंदगी,
और जी रहे हैं हम;
रूकी नही हैं साँसें अभी,
और जिंदा हैं हम.......!

7 September 2018

3261 - 3265 दिल नुर गुरुर पायल नसीब कीमती शायरी


3261
कल रात चाँद बिलकुल,
उनके जैसा था...
वहीं नुर...!
वहीं गुरुर...
वही उनकी तरह,
हमसे कोसो दूर.......

3262
उनकी चाल ही काफी थी,
इस दिलके होश उड़ानेके लिए;
अब तो हद हो गई, जबसे वो...
पाँवमें पायल पहनने लगे.......!

3263
बड़ा खुश नसीब हैं वो,
जिसके नसीबमें तुम हो...
उसे और क्या चाहिये,
जिसके तुम करीब हो.......

3264
तुम चाहो तो,
मेरा सब कुछ ले लो...!
बस खुदको मेरे,
नसीबमें लिख दो.......!!!

3265
तुम्हे पता था,
मै गरीब हूँ...
फिर भी तुमने मेरी,
सबसे कीमती चीज तोड़ दी.......

6 September 2018

3256 - 3260 दिल प्यार इत्तेफ़ाक़ फुर्सत महफ़िल वक्त ख्वाहिश पल चाहत ज़ुल्फ़ बारिश क़तरा शायरी


3256
फुर्सत निकालकर आओ,
कभी मेरी महफ़िलमें;
लौटते वक्त बसाकर ले जाओगे,
मुझे अपने दिलमें.......!

3257
वही पुरानी ख्वाहिश,
वही पुरानी जिद...
चाहिए एक छोटासा पल,
और साथ तुम सिर्फ तुम.......!

3258
चाहत हैं, किसी चाहतको पानेकी,
चाहत हैं, चाहतको आज़मानेकी,
वो चाहे हमें, चाहे ना चाहे,
पर चाहत हैं,
उनकी चाहतमें मिट जानेकी...!!!

3259
ना दिलसे होता हैं,
ना दिमागसे होता हैं;
ये प्यार तो इत्तेफ़ाक़से होता हैं...
पर प्यार करके प्यार ही मिले,
ये इत्तेफ़ाक़ भी...
किसी-किसीके साथ होता हैं...!

3260
बूँद बूँद टपकती हैं,
तेरी ज़ुल्फ़ोंसे बारिशें;
क़तरा क़तरा गिरती हैं,
मेरे छलनी दिलसे ख़्वाहिशें।

5 September 2018

3251 - 3255 फना मोहब्बत नफरत अजीब तन्हाई बेवफा हद गुजर चाहन गम बर्क आँसू शायरी


3251
हम फना हो गए,
बदले वो फिर भी नहीं;
हमारी मोहब्बतसे कहीं ज्यादा,
सच्ची उनकी नफरत निकली.......!

3252
कितनी अजीब हैं,
इस शहरकी तन्हाई भी,
हज़ारो लोग हैं मगर...
फिरभी कोई उस जैसा नहीं...!

3253
सब कुछ लूटकर मेरा,
ले गयी वो बेवफा;
काश एक कोनेमें पड़ी,
मेरी तन्हाई भी ले जाती.......

3254
वो उलझे रहे,
हमें आजमानेमें;
और हम हदसे गुजर गए,
उन्हें चाहनेमें.......!

3255
चुपके चुपके कोई...
गमका खाना,
हमसे सीख जाये;
जी ही जीमें तिलमिलाना कोई...
हमसे सीख जाये;
अब्र क्या आँसू बहाना कोई...
हमसे सीख जाये;
बर्क क्या हैं तिलमिलाना कोई...
हमसे सीख जाये।

4 September 2018

3246 - 3250 ज़िंदगी मोहब्बत दुनिया कशिश नज़र अंदाज़ हिसाब मदहोश आँख लम्हा शायरी


3246
कितनी कशिश हैं,
इस मोहब्बतमें;
लोग रोते हैं मगर,
फिर भी करते हैं.......!

3247
जाने क्या कशिश हैं,
तुम्हारी  इन मदहोश आँखोंमें;
नज़रअंदाज़ जितना करो,
नज़र उसपें ही पड़ती हैं.......

3248
लोग कहते हैं पिये बैठा हूँ मैं,
खुदको मदहोश किये बैठा हूँ मैं;
जान बाकी हैं वो भी ले लीजिये,
दिल तो पहले ही दिये बैठा हूँ मैं...!

3249
सपनोंकी दुनियामें,
हम खोते चले गए;
मदहोश थे पर,
मदहोश होते चले गए; 
ना जाने क्या बात थी,
उस चेहरेमें;
ना चाहते हुए भी...
उसके होते चले गए.......।

3250
करने लगे हिसाब--ज़िंदगी,
तो रो बैठे;
गिनते रहे सालोंको,
और लम्होंको खो बैठे.......

3 September 2018

3241 - 3245 प्यार पत्थर आँख शीशा दर्द याद काबिल बारिश अजीब इशारे लहर ख्याल कशिश शायरी


3241
ये कैसी कशिश हैं उसमें
चुप हैं पर सुनाई देता हैं 

3242
कशिश तोह बहुत हैं मेरे प्यारमें,
लेकिन कोई हैं पत्थर दिल जो पिघलाता नहीं;
अगर मिले खुद तो माँगूगा उसको,
सुना हैं ख़ुदा मरनेसे पहले मिलते नहीं...

3243
शीशा तो टूटके,
अपनी कशिश बता देता हैं...
दर्द तो उस पत्थरका हैं,
जो टुटनेके काबिल भी हीं...

3244
अजीबसी कशिश थी,
तेरी आँखोंके इशारेमें,
वरना लहरोंपर चलने वाले,
किनारोंपर नहीं डुबा करते...!

3245
भीगते हैं जिस तरहसे,
तेरी यादोंमें डूबकर,
इस बारिशमें कहाँ वो,
कशिश तेरे ख्यालों जैसी...

2 September 2018

3236 - 3240 ज़िन्दगी मुसीबत फर्क बिखर निखर सोच शायरी


3236
मुसीबत सबपर आती हैं,
फर्क सिर्फ इतना हैं कि...
इससे कोई बिखर जाता हैं,
और कोई निखर जाता हैं...!

3237
चलो ना.......
जी ले कुछ इस कदर,
कि लगे जैसे...
जिन्दगी हमे नहीं,
जिन्दगीको हम मिल गये हैं...!

3238
मत सोच रे बन्दे,
इतना ज़िन्दगीके बारेमें...
जिसने ये ज़िन्दगी दी हैं,
उसने भी तो कुछ सोचा ही होगा,
तेरे बारेमें.......!

3239
यह आग भी,
कितनी अनमोल चीज हैं !
महज बातोंसे भी लग जाती हैं, 
पता नहीं कब बुझेगी.......

3240
तमीज़, तहज़ीब, अदब...
ज़िन्दगीमें बोलती हैं;
लाख छुपाए इन्सानपर...
शख़्सियत निशाँ छोड़ती हैं.......

31 August 2018

3231 - 3235 आशिक़ दिल मोहब्बत अदा दिवाने प्यार नाम अंदाज़ वजह आँख नजर होंठ महक झलक जिस्म जख्म शायरी


3231
अंदाज़ा मेरी मोहब्बतका,
सब लगा लेते हैं...
जब तुम्हारा नाम सुनकर,
हम मुस्कुरा देते हैं...

3232
हम तो तेरे शख्सियतके दिवाने हैं.
वो और होंगे जो
जिस्मानी पसंदको ही प्यार समझते हैं...
यहीं वजह हैं की
तुम हमसें दुर रहके भी पास हो...!

3233
आँखोंमें नजर आती हैं,
होंठोंपर महक जाती हैं...
लाख छुपाओ मोहब्बतको मगर,
अदाओंमें झलक जाती हैं...

3234
जिस्मपर जो,
जख्मके निशान हैं...
वो बचपनके हैं,
बादके तो सारे दिलपर हैं...!

3235
मैं ख़ूबसूरत सही...
आशिक़ तो हूँ;
इतना तो पता हैं,
तुम्हें भी.......

30 August 2018

3226 - 3230 दिल खुश याद नज़र मुमकिन गुनाह दाग नज़र रिश्ते अल्फ़ाज़ अहसास मोहब्बत रूह वक़्त उम्मीद कोशिश शायरी


3226
कितना भी खुश रहनेकी,
कोशिश कर लो...
जब कोई बेहद याद आता हैं,
तो सचमें बहुत रुलाता हैं...!!!

3227
हर नज़रमें मुमकिन नहीं हैं,
बेगुनाह रहना,
चलो...
कोशिश करते हैं ,
ख़ुदकी नज़रमें, बेदाग रहें !!!

3228
रिश्ते निभानेके लिए,
हम जितना झुकते हैं...
लोग अक्सर उतना ही,
झुकाने कि कोशिश करते हैं...!

3229
वो कोशिश ही करते रह गए,
अल्फ़ाज़ोंसे दिल छूनेकी...
हम तो अहसास थे,
मोहब्बतकी रूह छूकर चले गए...

3230
कोशिश तो रोज़ करते हैं के,
वक़्तसे समझौता कर लें...
कम्बख़्त दिलके कोनेमें छुपी,
उम्मीद मानती ही नहीं.......!