14 November 2018

3526 - 3530 दिल चाहत इश्क फरिस्ता ऐतबार कुदरत कत्ल गुनाहगार शायरी


3526
तेरी चाहतमें,
रुसवा यूँ सरे बाज़ार हो गये...
हमने ही दिल खोया और,
हम ही गुनाहगार हो गये...!

3527
हमने इश्ककी,
तो जहाँके गुनाहगार हो गए...
और वो दिल तोड़के जैसे,
फरिस्ता हो गई.......!

3528
इतनी मोहब्ब्त,
ना करना सिखा खुदा...
कि तुझसे जायदा मुझे,
उसपर ऐतबार हो जाए;
दिल तोड़कर जाए वो मेरा...
और तू मेरा गुनाहगार हो जाए...!

3529
अगर इश्क़ गुनाह हैं,
तो गुनाहगार हैं खुदा; 
जिसने बनाया दिल,
किसीपर आनेके लिए।

3530
हर शख्स गुनाहगार हैं,
'कुदरत' के कत्लमें...
ये हवाएं जहरीली,
यूँ ही नहीं हुईं.......

3521 - 3525 दिल प्यार मुहोब्बत जुदाई तड़प मंज़ूर गम परछाई दर्द दवा मासूम रुसवा शायरी


3521
"जमानेसे नहीं तो तनहाई से डरता हुँ,
प्यारसे नहीं तो रुसवाईसे डरता हुँ;
मिलनेकी उमंग बहुत होती हैं,
लेकिन मिलनेके बाद तेरी जुदाईसे डरता हुँ।"

3522
काश वो समझते इस दिलकी तड़पको,
तो यूँ हमें रुसवा ना किया होता;
उनकी ये बेरुखी भी मंज़ूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझ लिया होता |

3523
गमकी परछाईयाँ, यारकी रुसवाईयाँ,
वाह रे मुहोब्बत !
तेरे ही दर्द और तेरी ही दवाईयाँ

3524
मासूम मयखानों पर ही,
हुकूमत--रुसवा क्यों...?
शराबी आँखोपर भी,
पाबंदी चाहीए.......!

3525
ना कर दिलसे नाराज़गी...
ना रुसवा कर मुझे...
जुर्म बता... सज़ा सुना...
और किस्सा खत्म कर.......

12 November 2018

3516 - 3520 इश्क़ जिन्दगी इशारा बारिश आँख आईना दर्द दौलत जन्नत रुसवा तमाशा शायरी


3516
किसने "बोला" हैं तुम्हें,
"खुल" के "तमाशा" करना...?
गर "इश्क़" करते हो तो बस,
"हल्का" सा "इशारा" करना.......!

3517
इश्क़में तुम तो,
सिर्फ रुसवा हुए हो;
मगर हम तो.
तमाशा हो गए हैं...!

3518
बारिश जरा खुलकर बरस...
ये क्या तमाशा हैं.......?
इतनी रिमझिम तो,
मेरी आँखोंसे रोज होती हैं.......!

3519
खुदको औरोंकी तवज्जोका,
तमाशा करो;
आईना देख लो,
अहबाबसे पूछा करो; 
शेर अच्छे भी कहो,
सच भी कहो, कम भी कहो; 
दर्दकी दौलत--नायाबको,
रुसवा करो.......।

3520
जिन्दगी तेरी भी,
अजब परिभाषा हैं...
सँवर गई तो जन्नत,
नहीं तो सिर्फ तमाशा हैं...!

11 November 2018

3511 - 3515 इश्क़ दिल मोहब्बत कयामत जिक्र अजीब जंग याद आँख खबर वजह शायरी


3511
दो घडी जिक्र जो तेरा हुआ...
दो घडी हमपें कयामत गुज़री.......!

3512
एक अजीबसी जंग छिडी हैं,
तेरी यादोको लेकर...
आँखे कहती हैं सोने दे,
दिल कहता हैं रोने दे...!

3513
किसी टूटे हुए मकानकी तरह,
हो गया हैं ये दिल...
कोई रहता भी नहीं और,
कमबख्त बिकता भी नहीं.......

3514
तू मेरे दिलमें हो...
अब ये सबको खबर हैं;
क्या वजह हैं...
कि बस एक तू ही बेखबर हैं...!

3515
ये भी एक तमाशा हैं,
इश्क और मोहब्बतमें...
दिल किसीका होता हैं,
और बस किसीका चलता हैं.......

3 November 2018

3506 - 3510 उम्र जिंदगी याद तड़प हौसले मेहनत ताज मंजिल रौशनी मोहताज़ भूल मोहब्बत शायरी


3506
एक उम्रके बाद,
उस उम्रकी बातें,
उम्रभर याद आती हैं...

3507
टूटने लगे हौसले तो ये याद रखना,
बिना मेहनतके तख्तो-ताज नहीं मिलते;
ढूंढ़ लेते हैं अंधेरोंमें मंजिल अपनी,
क्योंकि जुगनू कभी रौशनीके मोहताज़ नहीं होते !

3508
चलिए जिंदगीका जश्न,
कुछ इस तरह मनाते हैं;
कुछ अच्छा याद रखते हैं,
और कुछ बुरा भूल जाते हैं !!!

3509
ज़रूरी काम हैं लेकिन,
रोज़ाना भूल जाता हूँ,
मुझे तुमसे मोहब्बत हैं,
बताना भूल जाता हूँ...
मैं सोचता रहा मगर,
फैसला ना कर पाया,
तू याद आ रही हैं या,
मैं याद कर रहा हूँ...!

3510
धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं !
जीवन यादोंकी पुस्तक बन जाती हैं !
कभी किसीकी याद बहुत तड़पाती हैं !
और कभी यादोंके सहारे जिंदगी कट जाती हैं !

3501 - 3505 इश्क़ धड़कने काबू याद कमाल वहम हिचकियाँ शायरी


3501
याद करनेकी हमने,
हद कर दी मगर...
भूल जानेमें तुम भी,
कमाल करते हो.......!

3502
धड़कने काबूमें नहीं हैं,
आज लगता हैं...
कोई बेहताशा,
याद कर रहा हैं.......!

3503
खिलखिलाती धूपसा मेरा इश्क़...
और,
सर्द रातोसा तेरा याद आना.......!

3504
एक दिया दिलमें जलाना भी,
बुझा भी देना...
याद करना भी उसे और,
रोज भूला भी देना...
उससे मनसूब भी कर लेना,
पुराने किस्से...
उसके बालोमें नया फूल,
लगा भी देना...!

3505
अब हिचकियाँ आती हैं,
तो पानी पी लेते हैं...
ये वहम छोड़ दिया हैं,
कि कोई याद करता हैं...!!!

1 November 2018

3496 - 3500 दिल पल एहसास याद अंदाज़ दर्द दीवार फरियाद तन्हाई आबाद ग़म लम्हें शौक शायरी


3496
तुम दूर हो मगर ये एहसास होता हैं,
कोई हैं जो हर पल दिलके पास होता हैं;
याद तो सबकी आती हैं,
मगर तुम्हारी यादका अंदाज़...
बहुत खास होता हैं...!

3497
दर्दकी दीवारपर फरियाद लिखा करते हैं,
हर रात तन्हाईको आबाद किया करते हैं;
खुदा उन्हे हमेशा खुश रखना जिन्हे,
हम तुमसे भी पहले याद किया करते हैं l

3498
हर रोज़ पीता हूँ तेरे छोड़ जानेके ग़ममें,
वर्ना पीनेका मुझे भी कोई शौक नहीं l
बहुत याद आते हैं तेरे साथ बीताये हुये लम्हें,
वर्ना मर मरके जीनेका मुझे भी कोई शौंक नहीं ll

3499
कुछ ना कुछ तो हैं,
इस उदासीका सबब...
अब मान भी जाओ,
की हम याद आते हैं.......!

3500
रबको याद करू,
या याद करू तुम्हे...!
जर्रे जर्रेमें वो हैं,
और कतरे कतरेमें तुम.......!!!

31 October 2018

3491 - 3495 बात फितरत खता दिल पल क़ामयाब महक जवाब याद शायरी


3491
कुछ तो बात हैं,
तेरी फितरतमें... मेरी जान !
वरना तुझको याद करनेकी खता...
हम बार-बार करते !!!

3492
उन्हे पलभरको भी,
भूल जानेकी कोशिश...
कभी क़ामयाब हुई;
उनकी याद,
शाख़--गुलाब थी...
जो हवा चली तो,
महक उठी.......!

3493
तुम याद करते हो,
कुछ पलके लिए हमें...!
हम एक पलके लिए,
भूल नहीं पाते हैं तुम्हें...!

3494
कुछ तो धड़कता हैं,
रूक रूककर मेरे सीनेमें...
अब खुदा ही जाने,
तेरी याद हैं या मेरा दिल...!

3495
सुनो,
मुझे पढ़कर भी...
तुम जो जवाब हीं देते हो ना..."
याद करोगे जब हम तेरे लिए...
लिखना छोड़ देंगे......."

30 October 2018

3486 - 3490 दिल इश्क ज़िन्दगी नकाब दुनिया आँख निगाह तकलीफ आवाज़ इज़हार इकरार शायरी


3486
वो कहने लगी,
नकाबमें भी पहचान लेते हो,
हजारोंके बीच...
मैने मुस्कराके कहा,
तेरी आँखोंसे ही शुरू हुआ था,
इश्क हज़ारोंके बीच.......!

3487
कई लोग मिलेंगे इस दुनियामें,
मगर कोई कोई दिलके पास होगा;
एक ऐसा भी आयेगा ज़िन्दगीमें,
जो सारी दुनियासे ख़ास होगा !

3488
हम भी जी सकते थे,
अगर...
मरते ना... " तुमपर ".......

3489
हमने भी जिदंगीका कारवाँ,
आसां कर दिया...
जो तकलीफ देते थे,
उन्हें रिहा कर दिया.......


3490
दिलकी आवाज़को इज़हार कहते हैं,
झुकी निगाहको इकरार कहते हैं;
सिर्फ पानेका नाम इश्क नहीं,
कुछ खोनेको भी प्यार कहते हैं...

29 October 2018

3481 - 3485 मोहब्बत पल निगाहे ज़िक्र फिक्र एहसास ख्याल मौज़ूद सब्र किताब शायरी


3481
मैने पूछा एक पलमें...
जान कैसे निकलती हैं;
उसने चलते चलते...
मेरा हाथ छोड़ दिया.......

3482
निगाहे तो जरा झुका लिजीये जनाब,
मेरे मजहबमें नशा हराम हैं.......!!!

3483
तेरा ज़िक्र... तेरी फिक्र...
तेरा एहसास... तेरा ख्याल...
तू खुदा नहीं...
फिर हर जगह मौज़ूद क्यूँ हैं.......!

3484
यूँ सामने आकर ना बैठो...
सब्र तो सब्र हैं,
हर बार हीं होता.......!

3485
मेरी लिखी किताब...
मेरे ही हाथोमें देकर,
वो कहने लगे...
इसे पढा करो,
मोहब्बत करना सिख जाओगे...!