22 June 2023

9606 - 9610 आवाज़ तस्वीर शिक़वा बेवफाई मुसीबत ख़ामोशी शायरी

 
9606
रंग दरक़ार थे हमक़ो,
तिरी ख़ामोशीक़े...
एक़ आवाज़क़ी तस्वीर,
बनानी थी हमें.......
                         नाज़िर वहींद

9607
गिला शिक़वाहीं क़र डालो,
क़े क़ुछ वक़्त क़ट ज़ाए...
लबोपें आपक़े यह ख़ामोशी,
अच्छी नहीं लगती.......

9608
तूफानसे पहलेक़ी,
ख़ामोशीक़ी तरह ;
मिरी बस्तीमें आज़ हैं.
ऐसा सन्नाटा.......ll

9609
उसने क़ुछ,
इस तरहसे क़ी बेवफाई...
मेरे लबोक़ो,
ख़ामोशीहीं रास आई.......

9610
ख़ामोशीसे मुसीबत,
और भी संगीन होती हैं ;
तड़प दिल तड़पनेसे,
ज़रा तस्कीन होती हैं ll

21 June 2023

9601- 9605 लफ़्ज़ तलाश इश्क़ क़िस्से शौक़ पैग़ाम ख़ामोशी शायरी

 
9601
लफ़्ज़ोंक़ी क़मी तो,
क़भीभी नहीं थी ज़नाब...
हमें तलाश उनक़ी हैं,
ज़ो हमारी ख़ामोशी पढ़ लें......

9602
हक़ीक़तमें ख़ामोशी क़भीभी,
चुप नहीं रहती हैं...
क़भी तुम गौरसे सुनना,,,
बहुत क़िस्से सुनाती हैं...

9603
लोग तो सो लेते हैं,
ज़मानेक़ी चहेल पहेलमें..,.
मुझे तो तेरी ख़ामोशी,
सोने नहीं देती,,,,,,

9604
इश्क़क़े चर्चे भले हीं,
सारी दुनियामें होते होंगे,
पर दिल तो,
ख़ामोशीसे हीं टूटते हैं...,

9605
मेरी अर्ज़--शौक़ बे-मअ'नी हैं,
उनक़े वास्ते...
उनक़ी ख़ामोशी भी इक़,
पैग़ाम हैं मेरे लिए...
                              मुईन अहसन ज़ज़्बी

20 June 2023

9596 - 9600 मज़बूरी बारिश तमन्ना ज़ख़्म आवाज़ें ख़ामोशी शायरी

 
9596
तेरी ख़ामोशी अगर,
तेरी मज़बूरी हैं...
तो रहने दे,
इश्क़ क़ौनसा ज़रूरी हैं...

9597
तू बारिशक़ी तरह,
अपनी ख़ामोशी बरसा...!
हम भी सुख़ी मिट्टीक़ी तरह,
महक़ते ज़ाएंगे.......!!!

9598
तेरी ख़ामोशी ज़ला देती हैं,
इस दिलक़ी तमन्नाओक़ो...
बाक़ी सारी बातें अच्छी,
हैं तेरी तस्वीरमें.......

9599
तन्हाइयोंसे परहेज़,
क़ुछ यूँ भी हैं...
क़ी ख़ामोशीमें तेरी,
आवाज़ सुनाई देती हैं.......

9600
ख़ामोशीक़े नाख़ुनसे,
छिल ज़ाया क़रते हैं...
क़ोई फिर इन ज़ख़्मोंपर,
आवाज़ें मलता हैं.......
                      अमीर इमाम

19 June 2023

9591 - 9595 रिश्ता ज़िगर ज़बान ज़ुबान ख़ामोशी शायरी

 
9591
लोग क़हते हैं क़ि,
वो बड़ा सयाना हैं...
उन्हें क़्या पता,
ख़ामोशीसे उसक़ा रिश्ता पुराना हैं...

9592
बोलते क़्यूँ नहीं,
मिरे हक़में...
आबले पड़ गए,
ज़बानमें क़्या...?
ज़ौन एलिया

9593
ज़बसे ये अक़्ल,
ज़वान हो गयी...
तबसे ख़ामोशी हीं,
हमारी ज़ुबान हो गयी...!

9594
हम ख़ामोशीसे देते हैं,
ख़ामोशीक़ा ज़वाब...
क़ौन क़हता हैं,
अब हम बात नहीं क़रते...!!!

9595
साँसोंक़ो चलनी,
ज़िगरक़ो पार क़रती हैं...
ख़ामोशीभी बड़े सलीक़ेसे,
वार क़रती हैं.......

18 June 2023

9586 - 9590 होठ डर क़ोशिश मुलाक़ात सच्चाई ख़ामोशी शायरी

 
9586
क़ितनी लम्बी ख़ामोशीसे,
गुज़रा हूँ...
उनसे क़ितना क़ुछ क़हनेक़ी,
क़ोशिश क़ी......

9587
उसने क़ुछ क़हा भी नहीं,
और मेरी बात हो गई...!
बड़ी अच्छी तरहसे,
उसक़ी ख़ामोशीसे मुलाक़ात हो गई...!!!

9588
बोलनेसे ज़ब,
अपने रूठ ज़ाए...
तब ख़ामोशीक़ो,
अपनी ताक़त बनाएं...

9589
ज़बसे उसक़ी सच्चाई,
हमारे पास आई...
हमारे होठोंक़ो तबसे,
ख़ामोशी पसंद हैं...

9590
हर तरफ़ थी ख़ामोशी,
और ऐसी ख़ामोशी...
रात अपने साएसे,
हम भी डरक़े रोए थे...
                   भारत भूषण पन्त

17 June 2023

9581 - 9585 सवाल ज़वाब ज़ान हुनर तन्हाई अल्फाज़ ख़ामोशी शायरी

 
9581
ज़ान ले लेगी,
अब ये ख़ामोशी..
क़्यूँ ना झगड़ा हीं,
क़र लिया ज़ाये...!

9582
मैंने अपनी एक़,
ऐसी दुनिया बसाई हैं...
ज़िसमें एक़ तरफ ख़ामोशी,
और दूसरी तरफ तन्हाई हैं...

9583
तड़प रहे हैं हम,
तुमसे एक़ अल्फाज़क़े लिए...
तोड़ दो ख़ामोशी,
हमें ज़िन्दा रख़नेक़े लिए.......

9584
हज़ारों ज़वाबसे,
अच्छी मेरी ख़ामोशी ;
ज़ाने क़ितने सवालोंक़ी,
आबरू रख़ ली.......ll

9585
क़िताबोंसे ये हुनर,
सिख़ा हैं हमने...!
सब क़ुछ छिपाए रख़ो,
खुदमें मगर ख़ामोशीसे...!!!

16 June 2023

9576 - 9580 लफ्ज़ ज़बाँ आँख़ दास्ताँ सबब ख़ामोशी शायरी

 
9576
लफ्ज़ोक़ो तो,
दुनिया समझती हैं...!
क़ाश क़ोई,
ख़ामोशीभी समझता...!!!

9577
भीगी आँख़ोसे मुस्क़ुरानेक़ा,
मज़ा और हैं...
हँसते हँसते पलक़े भिगोनेक़ा,
मज़ा और हैं...
बात क़हक़े तो,
क़ोई भी समझ लेता हैं.,;
ख़ामोशीक़ो क़ोई समझे तो,
मज़ा और हैं.......

9578
चलो अब ज़ाने भी दो,
क़्या क़रोगे दास्ताँ सुनक़र...
ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं,
और बयाँ हमसे होगा नहीं.......

9579
हरएक़ बात,
ज़बाँसे क़हीं नहीं ज़ाती...
ज़ो चुपक़े बैठे हैं,
क़ुछ उनक़ी बात भी समझो...
महशर इनायती

9580
क़ोई ज़ब पूछ बैठेगा,
ख़ामोशीक़ा सबब तुमसे...
बहुत समझाना चाहोगे,
मगर समझा पाओगे.......

15 June 2023

9571 - 9575 लब ज़ज़्बात इन्कार मतलब प्यार अल्फ़ाज़ तफ्सील ख़ामोशी शायरी

 
9571
समझने वाले तो,
ख़ामोशीभी समझ लेते हैं...
समझनेवाले ज़ज़्बातोंक़ा भी,
मज़ाक़ बना देते हैं.......

9572
अब अल्फ़ाज़ नहीं बचे क़हनेक़ो,
और एक़ वो हैं ज़ो मेरी,
ख़ामोशी नहीं समझती.......

9573
हम लबोंसे क़ह पाये,
उनसे हाल--दिल क़भी...
और वो समझे नहीं,
ये ख़ामोशी क़्या चीज़ हैं...

9544
वो अब हर एक़ बातक़ा,
मतलब पूछता हैं मुझसे, फ़राज़...
क़भी ज़ो मेरी ख़ामोशीक़ी,
तफ्सील लिख़ा क़रता था.......ll

9575
हर ख़ामोशीक़ा मतलब इन्कार नहीं होता,
हर नाक़ामीक़ा मतलब हार नहीं होता,
तो क़्या हुआ अगर हम तुम्हें पा सक़े,
सिर्फ पानेक़ा मतलब प्यार नहीं होता...ll

14 June 2023

9566 - 9570 बेवज़ह दर्द इख़्तियार प्यार दीदार ख़ामोशी शायरी

 
9566
दर्द हदसे ज़्यादा हो तो,
आवाज़ छीन लेती हैं ;
क़ोई ख़ामोशी,
बेवज़ह नहीं होती हैं ll

9567
ख़ामोशीक़ो इख़्तियार क़र लेना,
अपने दिलक़ो थोड़ा बेक़रार क़र लेना,
ज़िन्दगीक़ा असली दर्द लेना हो तो...
बस क़िसीसे बेपनाह प्यार क़र लेना...ll

9568
उसक़े बिना अब चुपचुप रहना अच्छा लगता हैं,
ख़ामोशीसे दर्दक़ो सहना अच्छा लगता हैं,
ज़िस हस्तीक़ी यादमें दिन भर आँसू बहते हैं,
सामने उसक़े क़ुछ क़हना अच्छा लगता हैं,
मिलक़र उससे बिछड़ ज़ाऊँ डरती रहती हूँ...
इसलिए बस दूर हीं रहना अच्छा लगता हैं...ll

9569
ख़ामोशियाँ तेरी मुझसे बातें क़रती हैं,
मेरा हर दर्द और हर आह समाज़ती हैं l
पता हैं मज़बूर हैं तू और में भी,
फ़िर भी आँखें तेरे दीदारक़ो तरसती हैं ll

9570
ख़ामोशियाँ यूँ हीं बेवज़ह नहीं होती,
क़ुछ दर्द भी आवाज़ छीन लिया क़रतें हैं.......

13 June 2023

9561 - 9565 ज़बाँ आहट ज़ज़्बा इश्क़ राज़ बेचैन ख़ामोशी शायरी

 
9561
ख़ामोशीमें चाहे,
ज़ितना बेगाना-पन हो...
लेक़िन इक़ आहट,
ज़ानी-पहचानी होती हैं...!
                     भारत भूषण पन्त

9562
मोहब्बतेंमें नुमाइशक़ी,
ज़रूरत नहीं होती...l
ये तो वो ज़ज़्बा हैं ज़िसममें,
ख़ामोशी भी गुनगुनाती हैं.....ll

9563
ख़ामोशीक़ा राज़ ख़ोलना भी सीख़ो...
आँख़ोक़ी ज़बाँसे बोलना भी सीख़ो...

9564
मोहब्बत नहीं थी तो,
एक़ बार समझाया तो होता...l
नादान दिल तेरी ख़ामोशीक़ो,
इश्क़ समझ बैठा.......ll

9565
हमारी मोहब्बत ज़रूर,
अधूरी रह गयी होगी पिछले ज़न्ममें...!
वरना इस ज़न्मक़ी तेरी ख़ामोशी,
मुझे इतना बेचैन क़रती.......!!!

12 June 2023

9556 - 9560 आवाज़ तन्हाई ज़ज़्बात दर्द क़मज़ोरी गहरी ख़ामुशी शायरी

 
9556
बहुत गहरी हैं,
उसक़ी ख़ामुशी भी ;
मैं अपने क़दक़ो,
छोटा पा रहीं हूँ.......
               फ़ातिमा हसन

9557
ज़िसे सय्यादने क़ुछ, गुलने क़ुछ,
बुलबुलने क़ुछ समझा...
चमनमें क़ितनी मानी-ख़ेज़ थी,
इक़ ख़ामुशी मिरी.......
ज़िगर मुरादाबादी

9558
क़भी ख़ामोशी बनते हैं,
क़भी आवाज़ बनते हैं,
हर तन्हाईक़े साथी,
मेरे ज़ज़्बात बनते हैं ll

9559
हमारी ख़ामोशी हीं,
हमारी क़मज़ोरी बन गयी...
उन्हें क़ह पाए दिलक़े ज़ज़्बात और,
इस तरहसे उनसे इक़ दूरी बन गयी ll

9560
ज़ज़्बात क़हते हैं,
ख़ामोशीसे बसर हो ज़ाएँ...
दर्दक़ी ज़िद हैं क़ि,
दुनियाक़ो ख़बर हो ज़ाएँ ll

11 June 2023

9551 - 9555 क़िस्मत दस्तूर बज़्म मुसल्लत ख़ामुशी शायरी

 
9551
ये पानी ख़ामुशीसे,
बह रहा हैं...
इसे देख़ें क़ि,
इसमें डूब ज़ाएं.......
           अहमद मुश्ताक़

9552
ज़ोर क़िस्मतपें,
चल नहीं सक़ता...
ख़ामुशी इख़्तियार,
क़रता हूँ.......ll
अज़ीज़ हैंदराबादी

9553
तमाम शहरपें,
इक़ ख़ामुशी मुसल्लत हैं l
अब ऐसा क़र क़ि,
क़िसी दिन मिरी ज़बाँसे निक़ल ll
                               अभिषेक़ शुक्ला

9554
निक़ाले गए इसक़े,
मअ'नी हज़ार...
अज़ब चीज़ थी,
इक़ मिरी ख़ामुशी.......
ख़लील-उर-रहमान आज़मी

9555
ज़ब ख़ामुशी हीं,
बज़्मक़ा दस्तूर हो गई...
मैं आदमीसे,
नक़्श--दीवार बन गया...
                      ज़हींर क़ाश्मीरी