20 September 2018

3296 - 3300 दिल दुनिया तेरा हुस्न सलामत जलवा दीवाना हुस्न कयामत अदा मुलाक़ात शायरी


3296
ये तो झुठे अंदाज हैं उनके,
खुलके इजहार करके,
खुदको महकानेके;
वरना वो तो शौकिन हैं,
यारोके बसे बसाये,
आशियाने जलानेके...

3297
दुनियामें तेरा हुस्न,
मेरी जा सलामत रहे;
सदियों तलक जमींपे,
तेरी कयामत रहे...!

3298
ये तेरा हुस्न र,
कमबख्त अदायें तेरी...
कौन ना मर जायें,
अब देख कर तुम्हें...!

3299
दूरियोंसे फ़र्क नहीं पड़ता हैं,
बात तो दिलोकी नज़दीकियोसे होती हैं;
दिलके रिश्ते तो किस्मतसे बनते हैं,
वरना मुलाक़ात तो जाने कितनोसे होती हैं...

3300
शरीके-ज़िंदगी तू हैं मेरी,
मैं हूँ साजन तेरा;
ख्यालोंमें तेरी ख़ुश्बू हैं,
चंदनसा बदन तेरा;
अभी भी तेरा हुस्न,
डालता हैं मुझको हैरतमें;
मुझे दीवाना कर देता हैं,
जलवा जानेमन तेरा...!!!

18 September 2018

3291 - 3295 यार मजबूर दर्द वजह शकल बेवफ़ाई इल्ज़ाम खामोश इज़हार लब बादल हुस्न शायरी


3291
खुदको इतना मजबूर कभी पाया,
के तेरा दर्द भी ना बांट सकु...
खुदा कुछ ऐसा कर,
मेरे यारका दर्द बस मेरे नाम कर...!

3292
मत पूँछ हमसे यूँ सारी रात,
जागने कि वजह,  चाँद...
तेरा ही हमशकल हैं वो जो,
हमे सोने नहीं देती.......!

3293
जानकर भी वो मुझे जान ना पाए,
आज तक वो मुझे पहचान ना पाए;
खुद ही कर ली बेवफ़ाई हमने,
ताकि उनपर कोई इल्ज़ाम ना आए...!!!

3294
चलो ... खामोश रहते हैं,
तब तक ... जब तक...
इज़हार लबोंपें,
ख़ुद ना चलके आए...

3295
किसका चेहरा अब मैं देखूं...?
चाँद भी देखा...! फूल भी देखा...!
बादल बिजली...! तितली जुगनूं...!
कोई नहीं हैं ऐसा...! तेरा हुस्न हैं जैसा...!!!

3286 - 3290 दिल मोहब्बत जिन्दगी नाजुक दौर तसल्ली बेपनहा महसुस गुरूर यादें ताला शायरी


3286
गुजर रही हैं ये जिन्दगी,
बड़े ही नाजुक दौरसे;
मिलती नहीं तसल्ली,
तेरे सिवा किसी औरसे...!

3287
मैने यह नहीं कहा की मुझसे,
बेपनहा मोहब्बत कर...
सिर्फ इतनी गुजारिश हैं की,
मेरी मोहब्बतको महसुस कर...।


3288
क्यूँ ना गुरूर करता मैं,
अपने आपपर...
मुझे उसीने चाहा,
जिसके चाहने वाले हज़ारों थे...!


3289
एक हमला हमारे,
दिलपें भी कर दो;
तुम्हारी यादें अक्सर,
यहाँ घुसपैठ करती हैं.......

3290
मैने दरवाज़ेपें,
ताला भी लगा कर देखा...
ग़म मगर फिर भी,
समझ जाते थे, मैं घर में हूँ...!

12 September 2018

3281 - 3285 दिल प्यार मोहब्बत यकीन आँख नजर ख्वाहिश जख्म ख्याल दस्तक बेवफा याद शायरी


3281
ये कैसी ख्वाहिश हैं कि,
मिटती ही नहीं...
जी भरके तुझे देख लिया फिरभी,
नजर हटती नहीं.......!

3282
अपनी प्यारी आँखोमें छिपा लो मुझे,
प्यार तुम से हैं अपना बना लो मुझे l
धूप हो या छाव साथ चलेंगे हम,
यकीन ना हो तो आजमालो मुझे ll

3283
बनाने वालेने,
दिल तो कांचका बनाया होता...
तोड़ने वालेके,
हाथोंमें जख्म तो आया होता...
जब जब देखते अपने हाथोंको,
तब तब उन्हे...
हमारा ख्याल तो आया होता ll

3284
रातको उठ सका,
दरवाज़ेकी दस्तकपें;
सुबह बहुत रोया,
तेरे पैरोंके निशां देखकर.......

3285
बेवफा, तेरी मोहब्बत,
अब ठीकसे रोने तो दे...
मीठी यादोसे तेरी,
मुस्कुरा भी देता हूँ आजकल.......

11 September 2018

3276 - 3280 सनम दिल प्यार गुजारिश करीब याद नसीब आँख होंठ इबादत शायरी


3276
मुझे कुछ भी नहीं कहना,
सिर्फ इतनी गुजारिश हैं...
बस उतनी बार मिल जाओ,
के जितना याद आते हो.......!

3277
दिल कोई किसीसे दूर होता हैं,
कोई किसीके करीब होता हैं;
प्यार खुद चलकर आता हैं,
जब कोई किसीका नसीब होता हैं...

3278
एक आप हो सनम,
कि कुछ कहते नहीं...
एक आपकी यादें हैं,
जो चुप रहती नहीं...!

3279
आँखोंके नीचे,
काले घेरे बताते हैं...
होंठोंपर जो मुस्कान हैं,
वह झूठी हैं.......!

3280
क्या हूवा जो तुम मिलते नहीं हो,
मिलता तो खुदा भी नहीं...
इबादत तो फिर भी,
हम रोज़ करते हैं... ll

3271 - 3275 दिल इश्क हसरत बात तमन्ना बैचैनी आहट लफ़्ज़ हुकुम आँसु ख्वाब इश्क इंतज़ार शायरी


3271
मत पूछो कैसे गुजरता हैं,
हर पल तुम्हारे बिना;
कभी बात करनेकी हसरत,
कभी देखनेकी तमन्ना रहती हैं

3272
मत पूछो यारो...
ये इश्क केसा होता हैं...
बस जो रुलाता हैं ना,
उसे ही गले लगाकर...
रोनेको जी चाहता हैं...!

3273
इंतज़ार इश्कमें,
बैचैनीका आलम मत पूछो...
हर आहटपर लगता हैं,
वो आये हैं...
वो आये हैं.......

3274
अब हमे इतना भी,
मत पढ़िए हुजुर,
कि हमारे लफ़्ज़ आपके दिलपर,
हुकुमत करने लगे.......

3275
निकलते आँसुओंको देखकर,
सोचती हैं मेरी आँखे,
की और कितना वक़्त लगेगा,
सारे ख्वाबोको बहनेमें.......

9 September 2018

3266 - 3270 ज़िंदगी मोहबत मशगुल अनजान ग़म पैग़ाम वादा वफ़ा साया तबाह सलाम मयखाने शायरी


3266
कोई नहीं देगा साथ तेरा यहां,
हर कोई यहां खुदहीमें मशगुल हैं;
जिंदगीका बस एक ही उसूल हैं यहां,
तुझे गिरना भी खुद हैं और सम्हलना भी खुद हैं...!

3267
बड़ी भूल हुई अनजानेमें,
ग़म छोड़ आये मयखानेमें...
खाकर ठोकर ज़मानेकी,
फिर लौट आये मयखानेमें...
मुझे देखकर मेरे ग़म बोले,
बड़ी देर लगा दी आनेमें.......!

3268
मोहबतको जो निभाते हैं,
उनको मेरा सलाम हैं;
और जो बीच रास्तेमें छोड़ जाते हैं,
उनको, हुमारा ये पैग़ाम हैं;
वादा--वफ़ा करो,
तो फिर खुदको फ़ना करो;
वरना खुदाके लिए किसीकी,
ज़िंदगी ना तबाह करो...

3269
जिसने दी हैं जिंदगी उसका,
साया भी नज़र नहीं आता;
यूँ तो भर जाती हैं झोलियाँ,
मगर देने वाला नज़र नही आता !

3270
क्या कहें ... कैसे कहें ... किसको कहें...
बस्...चल रही हैं जिंदगी,
और जी रहे हैं हम;
रूकी नही हैं साँसें अभी,
और जिंदा हैं हम.......!

7 September 2018

3261 - 3265 दिल नुर गुरुर पायल नसीब कीमती शायरी


3261
कल रात चाँद बिलकुल,
उनके जैसा था...
वहीं नुर...!
वहीं गुरुर...
वही उनकी तरह,
हमसे कोसो दूर.......

3262
उनकी चाल ही काफी थी,
इस दिलके होश उड़ानेके लिए;
अब तो हद हो गई, जबसे वो...
पाँवमें पायल पहनने लगे.......!

3263
बड़ा खुश नसीब हैं वो,
जिसके नसीबमें तुम हो...
उसे और क्या चाहिये,
जिसके तुम करीब हो.......

3264
तुम चाहो तो,
मेरा सब कुछ ले लो...!
बस खुदको मेरे,
नसीबमें लिख दो.......!!!

3265
तुम्हे पता था,
मै गरीब हूँ...
फिर भी तुमने मेरी,
सबसे कीमती चीज तोड़ दी.......

6 September 2018

3256 - 3260 दिल प्यार इत्तेफ़ाक़ फुर्सत महफ़िल वक्त ख्वाहिश पल चाहत ज़ुल्फ़ बारिश क़तरा शायरी


3256
फुर्सत निकालकर आओ,
कभी मेरी महफ़िलमें;
लौटते वक्त बसाकर ले जाओगे,
मुझे अपने दिलमें.......!

3257
वही पुरानी ख्वाहिश,
वही पुरानी जिद...
चाहिए एक छोटासा पल,
और साथ तुम सिर्फ तुम.......!

3258
चाहत हैं, किसी चाहतको पानेकी,
चाहत हैं, चाहतको आज़मानेकी,
वो चाहे हमें, चाहे ना चाहे,
पर चाहत हैं,
उनकी चाहतमें मिट जानेकी...!!!

3259
ना दिलसे होता हैं,
ना दिमागसे होता हैं;
ये प्यार तो इत्तेफ़ाक़से होता हैं...
पर प्यार करके प्यार ही मिले,
ये इत्तेफ़ाक़ भी...
किसी-किसीके साथ होता हैं...!

3260
बूँद बूँद टपकती हैं,
तेरी ज़ुल्फ़ोंसे बारिशें;
क़तरा क़तरा गिरती हैं,
मेरे छलनी दिलसे ख़्वाहिशें।

5 September 2018

3251 - 3255 फना मोहब्बत नफरत अजीब तन्हाई बेवफा हद गुजर चाहन गम बर्क आँसू शायरी


3251
हम फना हो गए,
बदले वो फिर भी नहीं;
हमारी मोहब्बतसे कहीं ज्यादा,
सच्ची उनकी नफरत निकली.......!

3252
कितनी अजीब हैं,
इस शहरकी तन्हाई भी,
हज़ारो लोग हैं मगर...
फिरभी कोई उस जैसा नहीं...!

3253
सब कुछ लूटकर मेरा,
ले गयी वो बेवफा;
काश एक कोनेमें पड़ी,
मेरी तन्हाई भी ले जाती.......

3254
वो उलझे रहे,
हमें आजमानेमें;
और हम हदसे गुजर गए,
उन्हें चाहनेमें.......!

3255
चुपके चुपके कोई...
गमका खाना,
हमसे सीख जाये;
जी ही जीमें तिलमिलाना कोई...
हमसे सीख जाये;
अब्र क्या आँसू बहाना कोई...
हमसे सीख जाये;
बर्क क्या हैं तिलमिलाना कोई...
हमसे सीख जाये।