5746
आप-बीती कहो,
कि जग-बीती...
हर कहानी,
मिरी कहानी हैं...!
फ़िराक़
गोरखपुरी
5747
ज़िंदगी
क्या हैं,
इक कहानी हैं l
ये कहानी,
नहीं सुनानी हैं ll
जौन एलिया
5748
वो दिन गुज़रे
कि जब,
ये ज़िंदगानी इक कहानी
थी;
मुझे अब हर
कहानी,
ज़िंदगी
मालूम होती हैं...
निसार इटावी
5749
जिसे अंजाम,
तुम समझती हो...
इब्तिदा
हैं,
किसी कहानी की...
सरवत हुसैन
5750
वो एक दिन,
एक अजनबी को,
मिरी कहानी,
सुना रहा था...
गुलज़ार