11 November 2017

1941 - 1945 दिल एहसास मोहब्बत जिंदगी दुआ तलब याद आँख आँसु दूरियाँ रिश्ते आरजू तमन्ना शायरी


1941
तेरी मोहब्बतकी तलब थी,
इसलिये हाथ फैला दिये...
वरना हमने कभी खुदासे,
अपनी जिंदगीकी दुआ भी नहीं मांगी,,,

1942
वो जिसकी यादमें हमने,
जिंदगी खर्च दी अपनी...
वो शख्स आज मुझको,
गरीब कहकर चला गया.......

1943
होता हैं अपनी आँखका आँसु भी बेवफा,
वो भी निकलता हैं तो किसी औरक़े लिए...

1944
दूरियोंसे रिश्ते नहीं टूटते,
ना पास रहनेसे जुड़ते हैं,
दिलोंका एहसास हैं ये रिश्ते,
इसीलिए हम तुम्हे, तुम हमे नहीं भूलते !

1945
कभी नीमसी जिंदगी...
कभी 'नमक' सी जिंदगी !
ढूँढते रहे उम्रभर...
एक 'शहद' सी जिंदगी !
ना शौक बडा दिखनेका...
ना तमन्ना 'भगवान' होनेकी !
बस आरजू जन्म सफल हो...
कोशिश 'इंसान' होनेकी !!!

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