2011
आपसे रूठनेका
हक हैं मुझको...
पर मुझसे आप रूठो,
यह अच्छा नहीं लगता...
2012
तेरे गुस्सेपर भी
आज हमे प्यार आया हैं,
चलो कोई तो हैं जिसने
इतने हकसे हमे धमकाया हैं !
2013
तहज़ीबमें भी क्या,
अदा थी उसकी साहिब . . .
नमकका हक़ भी अदा किया तो,
ज़ख्मोंपें छिड़क़के . . . . . . .
2014
जाते वक्त बहोत गुरूरसे कहा था उसने...
"तुम जैसे हजार मिलेंगे"
मैने मुस्कुराकर कहां...
" मुझ जैसेकी ही तलाश क्यों...? "
2015
ये याद हैं तुम्हारी या यादोंमें तुम हो,
ये ख्वाब हैं तुम्हारे या ख्वाबोंमें तुम हो,
हम नहीं जानते हमे बस इतना बता दो,
हम जान हैं तुम्हारी या हमारी जान तुम हो...
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